जैसे-जैसे राज्यों से किसानों के नाम केंद्र सरकार को मिलेंगे, वैसे वैसे लाभार्थी किसानों की संख्या और बढ़ती जाएगी। बंगाल में यह भी योजना- ममता ने कहा कि राज्य में कृषक बंधु योजना के तहत एक या उससे अधिक एकड़ जमीन वाले किसानों को हर साल पांच हजार रुपए दिए जाते हैं।
राज्य सरकार ने 2018 में कृषक बंधु योजना शुरू की थी, जो पूरे देश के लिए एक मॉडल बन गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद 2019 में पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई।
तुलनात्मक रूप से राज्य का कार्यक्रम बेहतर है क्योंकि इससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है। हम निकट भविष्य में अपनी योजना में और लाभ जोडऩे पर विचार कर रहे हैं। नहीं लागू हो सकी थी बंगाल में- सूत्रों के अनुसार मई की शुरुआत तक योजना के लिए पंजीकरण कराने वाले राज्य के 41 लाख में से करीब 7.03 लाख किसानों को ही धन प्राप्त करने के पात्र पाया गया है।
राज्य सरकार ने इससे पहले केन्द्रीय योजना के भुगतान के तरीके और अन्य मुद्दों पर भी पर आपत्तियां जताई थीं। राज्य में यह योजना इसलिए लागू नहीं हो सकी थी क्योंकि इस योजना के लाभार्थी किसानों के आंकड़ों सहित अन्य विभिन्न पहलुओं को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के बीच मतभेद थे।
चुनाव में बनाया था बड़ा मुद्दा-हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पीएम किसान सम्मान योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और इसमें बंगाल के शामिल ना होने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमले किए। चुनाव में जीत के बाद ममता बनर्जी ने राज्य के पात्र किसानों के लिए पत्र लिखकर केंद्र सरकार से 18,000 की बकाया राशि जारी करने का आग्रह किया था।
इस योजना के तहत अब तक किसान परिवारों को 1.35 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की सम्मान राशि हस्तांतरित की जा चुकी है। मिलने चाहिए थे 18 हजार रुपए: ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर पूरी राशि भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया।
उन्होंने किसानों को एक खुला पत्र लिखा और कहा कि बंगाल में पात्र किसानों को योजना का लाभ देने का निर्णय उनकी सरकार की निरंतर लड़ाई का परिणाम है। उन्होंने कहा कि आप सभी को 18,000 रुपए मिलने चाहिए थे, लेकिन आपको बेहद कम राशि मिली है। यह राशि भी आपको ना मिली होती अगर हमने इसके लिए लड़ाई ना की होती। आपको पूरी राशि मिलने तक हम लड़ाई जारी रखेंगे।