scriptबंगाल में कुपोषण से 15 दिनों में 7 आदिवासियों की मौत | 7 tribals die in Bengal in 15 days due to malnutrition | Patrika News

बंगाल में कुपोषण से 15 दिनों में 7 आदिवासियों की मौत

locationकोलकाताPublished: Nov 13, 2018 11:08:00 pm

– जंगलमहल में सुख-समद्धि और खुशहाली के दावे की पोल खुली

Kolkata West Bengal

बंगाल में कुपोषण से 15 दिनों में 7 आदिवासियों की मौत

कोलकाता

पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले में कुपोषण और इलाज के अभाव में पिछले 15 दिनों में सबर जाति के 7 आदिवासियों की मौत की शर्मनाक घटना सामने आई है। इस घटना ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जंगलमहल में सुख-समद्धि और खुशहाली के दावे की पोल खोल दी है। लालगढ़ ब्लॉक के पूर्णपानी ग्राम संसद क्षेत्र स्थित जंगलखास गांव में लगभग सबर जाति के 40 आदिवासी परिवार निवास करते हैं। प्राय: सभी परिवार के लोग कुपोषण के शिकार हैं। कई लोग टीबी की चपेट में हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार पिछले एक पखवाड़े में मंगल सबर (28), पल्टू सबर (33), किशन सबर (34), लाल्टू सबर (38), लेबू सबर (46), सुधीर सबर (63), सबित्री सबर (51) की मौत हुई है। मीडिया में यह खबर आने के बाद से इस मामले में जिला प्रशासन के अधिकारी चुप हैं। कोई भी अधिकारी इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। कुछ तो यह कह रहे हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की खबर मिली है। मामले की जांच की जा रही है। एक पखवाड़े में सात लोगों की मौत किस कारण से हुई? इस बारे में जानने का प्रयास किया जा रहा है। एक प्रश्न के जवाब में अधिकारी ने बताया कि स्थानीय अधिकारी इस खबर से अंजान क्यों रहे? इसकी भी जांच की जाएगी। इससे पहले वाममोर्चा के शासनकाल में भी कई बार जिले में कुपोषण से मौत की घटनाएं सामने आई थीं। उस समय तृणमूल कांग्रेस ने जोरदार हंगामा किया था, लेकिन खुद के शासनकाल में सामने आई इस घटना को लेकर सत्तारूढ़ दल के नेता चुप हैं। जंगलमहल का यह इलाका लम्बे समय तक माओवादियों का गढ़ रहा है। वर्ष 2011 में शीर्ष माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के मुठभेड़ में ढेर होने के बाद से इलाका शांत हुआ है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इलाके के लोगों के लिए सस्ती दर पर राशन मुहैया कराने की योजना शुरू की है। अक्सर ममता बनर्जी यह दावा करती हैं कि उनके प्रयास से जंगलमहल में खुशहाली आई है। लोग मुस्कुरा रहे हैं, लेकिन एक पखवाड़े में सात आदिवासियों की मौत ने उनके दावे पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
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