फारुख हालदार (24) बांग्लादेश के बागेरहाट का रहने वाला है। गत २०१३ में डकैती और आम्र्स एक्ट के तहत उसे गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से ही फारुख अलीपुर सेंट्रल जेल में था। उसे एक नम्बर वार्ड के ७ जीएफ वार्ड में रखा गया था। इसके पहले फारुख को दिल्ली के द्वारका से भी एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
फिरदौस शेख (29) बांग्लादेश के मदारीपुर का रहने वाला है। वर्ष 2014 में उसे अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने के मामले में सोनारपुर से गिरफ्तार किया गया था। उस समय से ही अलीपुर सेंट्रल जेल में एक नम्बर बैरक में ९ एफएफ वार्ड में फिरदौस को रखा गया था।
ईमन चौधरी (25) को सोनारपुर थाने की पुलिस ने अपहरण और छिनताई के मामले में गत २०१४ में गिरफ्तार किया था। ईमन को पांच साल की सजा की घोषणा हुई थी और तब से वह जेल में था। उसे जेल के एक नम्बर वार्ड के ५ जीएफ वार्ड में रखा गया था।
शनिवार को सभी कैदियों को कारागार के उनके सेल में लॉक कर दिया गया था। इसके बाद रात करीब बारह बजे अंतिम बार चेकिंग में वे तीनों को कारागार में ही कैद पाया गया था। सुबह ताला खोला गया और छह बजे जब कैदियों की गिनती हुई तो देखा गया कि सात नम्बर वार्ड में कैद उक्त कारागार से तीन कैदी नहीं है। फिर पता चला कि तीनों फरार हो गए है। कारागार के पास एक लोहे की रॉड कटा हुआ पाया गया और साथ ही वहां से हॉक्स ब्लेड बरामद की गई।
कुछ सीसीटीवी और लाइटें दोनों थी खराब यह कोई नई घटना नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई बार अलीपुर सेंट्रल जेल से कैदी फरार हुए हैं। इसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कोई कड़े बंदोबस्त नहीं किए गए है। जांच पड़ताल में पता चला है कि तीन नम्बर वॉच टावर के सामने ही पिछले कई माह से साफ-सफाई भी नहीं हुई है। गेट के सामने ही गंदगी व जंगल की तरह झाड़ी का अम्बार लगा हुआ है। तीन नम्बर वॉच टावर के ऊपर की लाइटें खराब हैं। उनमें बल्ब नहीं थे। जेल के अंदर एक से डेढ़ सौ मीटर तक भागना आखिर किसी की नजर में नहीं पडऩा, यह बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। वॉच टावर पर दो सुरक्षा कर्मी की जगह घटना के दिन मात्र एक ही तैनात था।