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एक ब्लेड बना हथियार! 15 फीट की दीवार चढक़र हुए फरार

locationकोलकाताPublished: Jan 15, 2018 05:38:43 pm

Submitted by:

Vanita Jharkhandi

– फिल्मी अंदाज में अलीपुर सेंट्रल जेल से फरार हुए तीन बांग्लादेशी कैदी- लम्बे समय से भागने की योजना बना रहे थे तीनों कैदी

kolkata west bengal
अलीपुर जेल से भागने में कामयाब रहे तीन बांग्लादेशी कैदी लंबे समय से अपनी योजना पर काम कर रहे थे। फिल्मी अंदाज में तीनों अपने सेल में लगी लोहे की रॉड को हर रोज हॉक्स ब्लेड से थोड़ा-थोड़ा काटते थे। शनिवार की रात को जब पूरा शहर सोया हुआ था तो नशीली मिठाई खिलाकर सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर तीनों 15 फीट ऊंची दीवार फांदकर फरार हो गए। इस घटना से जेल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
फरार हुए ये है तीनों बांग्लादेशी कैदी

फारुख हालदार
फारुख हालदार (24) बांग्लादेश के बागेरहाट का रहने वाला है। गत २०१३ में डकैती और आम्र्स एक्ट के तहत उसे गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से ही फारुख अलीपुर सेंट्रल जेल में था। उसे एक नम्बर वार्ड के ७ जीएफ वार्ड में रखा गया था। इसके पहले फारुख को दिल्ली के द्वारका से भी एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
फिरदौस शेख उर्फ राना
फिरदौस शेख (29) बांग्लादेश के मदारीपुर का रहने वाला है। वर्ष 2014 में उसे अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करने के मामले में सोनारपुर से गिरफ्तार किया गया था। उस समय से ही अलीपुर सेंट्रल जेल में एक नम्बर बैरक में ९ एफएफ वार्ड में फिरदौस को रखा गया था।
ईमन चौधरी
ईमन चौधरी (25) को सोनारपुर थाने की पुलिस ने अपहरण और छिनताई के मामले में गत २०१४ में गिरफ्तार किया था। ईमन को पांच साल की सजा की घोषणा हुई थी और तब से वह जेल में था। उसे जेल के एक नम्बर वार्ड के ५ जीएफ वार्ड में रखा गया था।
पहले ही तीनों कर चुके थे रेकी

इधर जांच पड़ताल में पता चला है कि तीनों फरार होने से पूर्व ही पूरी जेल की रेकी कर चुके थे। जेल में रात के समय कौन आता है और कौन जाता है? किस समय में कहां कौन सुरक्षा कर्मी तैनात रहता है? इसका तीनों पहले ही पता लगा चुके थे। पहले कारागार की रॉड काटने के लिए ब्लेड का इंतेजाम किया। फिर दीवार फांदने की योजना में लग गए। 25 दिसम्बर को शॉल मिलते ही उसे रस्सी के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई। 15 फीट दीवार को फांदने के लिए पेड़ की डॉलियां और लोहे के पाइप का इस्तेमाल किया। सेल में कैद कैदियों को पता न चले इसके लिए उन्हें नींद की दवा मिलाई मिठाई खिलाई। सुरक्षा कर्मियों के सोने का इंतजार करते हुए ठीक समय पर फरार हो गए।
कब कैसे पता चला पूरी घटना
शनिवार को सभी कैदियों को कारागार के उनके सेल में लॉक कर दिया गया था। इसके बाद रात करीब बारह बजे अंतिम बार चेकिंग में वे तीनों को कारागार में ही कैद पाया गया था। सुबह ताला खोला गया और छह बजे जब कैदियों की गिनती हुई तो देखा गया कि सात नम्बर वार्ड में कैद उक्त कारागार से तीन कैदी नहीं है। फिर पता चला कि तीनों फरार हो गए है। कारागार के पास एक लोहे की रॉड कटा हुआ पाया गया और साथ ही वहां से हॉक्स ब्लेड बरामद की गई।
आदिगंगा से होकर हुए फरार!

जेल के दाहिनी दीवार की तरफ वहां दीवार पर चढऩे के दाग दिखे है और साथ ही दीवार के उस पार आदिगंगा की तरफ पैरों के दाग भी दिखे हैं। हालांकि वहां बाहर से भी लोग आते रहते है। पुलिस अभी स्पष्ट बता नहीं पा रही है कि तीनों कैदी दीवार फांद कर किधर से फरार हुए हैं। पुलिस का अनुमान है तीनों बीएल खान रोड होकर अथवा आदि गंगा की तरफ से फरार हुए हैं।
सिर्फ नाम मात्र की सुरक्षा व्यवस्था!
कुछ सीसीटीवी और लाइटें दोनों थी खराब

यह कोई नई घटना नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई बार अलीपुर सेंट्रल जेल से कैदी फरार हुए हैं। इसके बावजूद भी जेल की सुरक्षा व्यवस्था में कोई कड़े बंदोबस्त नहीं किए गए है। जांच पड़ताल में पता चला है कि तीन नम्बर वॉच टावर के सामने ही पिछले कई माह से साफ-सफाई भी नहीं हुई है। गेट के सामने ही गंदगी व जंगल की तरह झाड़ी का अम्बार लगा हुआ है। तीन नम्बर वॉच टावर के ऊपर की लाइटें खराब हैं। उनमें बल्ब नहीं थे। जेल के अंदर एक से डेढ़ सौ मीटर तक भागना आखिर किसी की नजर में नहीं पडऩा, यह बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। वॉच टावर पर दो सुरक्षा कर्मी की जगह घटना के दिन मात्र एक ही तैनात था।
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