चिडिय़ाखाना के रिकॉर्ड के अनुसार लंदन में रहने वाले कोलकाता मूल के एस यू रहमान ने तीन बाघ, दो सिंह और एक तेंदुए को गोद लेकर रखा हुआ हे। अब स्थिति ऐसी है कि ढ़ंूढने से भी पशु-पक्षियों के दत्तक अभिभावक नहीं मिल रहे हैं।
पश्चिम बंगाल चिडिय़ाखाना प्रधिकरण के सचिव वीके यादव ने कहा कि पशु-पक्षियों को गोद लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। वे महानगर के प्रमुख चेम्बर ऑफ कॉमर्स को पत्र भेज कर उनसे चिडिय़ाखाना के पशु-पक्षियों को गोद लेने का आग्रह करेंगे।
घट गई चिडिय़ाखाने की आमदनी
पशु-पक्षियों को गोद लेने वाले दत्तक अभिभावक नहीं मिलने से अलीपुर चिडिय़ाखाना को होने वाले आय भी घटी है। इस योजना के लागू होने के बाद वर्ष 2015-16 में इससे चिडिय़ाखानों को होने वाली आय बढ़ कर 31.65 लाख रुपए तक पहुंच गई थी। लेकिन वर्ष 2017-18 में यह घट कर 11.75 लाख रुपए हो गई है। यह रकम भी लंदन के रहने वाले एस यू रहमान ने दी है। अलीपुर चिडिय़ाखाना के निदेशक आशिष कुमार समंत ने कहा कि पशु-पक्षियों को गोद लेने वाले कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण इस योजना से चिडिय़ाखाना को होने वाली आय भी घट गई है।
गोद लेने के लिए देने पड़ते हैं पैसे
पशु-पक्षियों को गोद लेने वाले दत्तक अभिभावक नहीं मिलने से अलीपुर चिडिय़ाखाना को होने वाले आय भी घटी है। इस योजना के लागू होने के बाद वर्ष 2015-16 में इससे चिडिय़ाखानों को होने वाली आय बढ़ कर 31.65 लाख रुपए तक पहुंच गई थी। लेकिन वर्ष 2017-18 में यह घट कर 11.75 लाख रुपए हो गई है। यह रकम भी लंदन के रहने वाले एस यू रहमान ने दी है। अलीपुर चिडिय़ाखाना के निदेशक आशिष कुमार समंत ने कहा कि पशु-पक्षियों को गोद लेने वाले कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण इस योजना से चिडिय़ाखाना को होने वाली आय भी घट गई है।
गोद लेने के लिए देने पड़ते हैं पैसे
गोद लेने वाली योजना के तहत पशु-पक्षियों को गोद लेने के लिए चिडिय़ाखाना से करार करना होता है और प्रत्येक साल एक निर्धारित रकम का भुगतान करना पड़ता है। व्यक्ति को चिडिय़ाखाना प्रधिकरण से करार करना पड़ता है कि वह कौन-कौन से पशु-पक्षी को गोद लेगा। चिडिय़ाखाना के निदेशक आशिष कुमार समंत ने बताया कि एक बाघ या सिंह को गोद लेने के लिए चिडिख़ाना को प्रत्येक साल दो लाख और पक्षियों के लिए 10 हजार रुपए देना पड़ता है। इसके बदले में दत्तक अभिभावक संस्थान या व्यक्ति चिडिय़ाखाना में अपने गोद लिए पशु-पक्षियों के जन्म दिवस मनाने के साथ ही अखबार, पत्रिका, लेटरहेडऔर अपनी वेबसाइट पर पशुओं की तस्वीर प्रकाशित करने की सुविधा दी जाती है।