scriptऐसी थमेगी बंगाल में दामोदर से बाढ़ की परेशानी | Advanced satelite based flood control system in DVC | Patrika News

ऐसी थमेगी बंगाल में दामोदर से बाढ़ की परेशानी

locationकोलकाताPublished: Sep 26, 2020 01:09:26 pm

Submitted by:

Paritosh Dube

बाढ़ नियंत्रण के उपायों के अंतर्गत दामोदर घाटी निगम 50 करोड़ की लागत से उपग्रह आधारित अत्याधुनिक बाढ़ नियंत्रण व निगरानी कक्ष तैयार कर रहा है।

ऐसी थमेगी बंगाल में दामोदर से बाढ़ की परेशानी

ऐसी थमेगी बंगाल में दामोदर से बाढ़ की परेशानी


कोलकाता.
सात दशक पहले बंगाल को बाढ़ से मुक्ति दिलाने के लिए तैयार की गई दामोदर घाटी परियोजना अब अत्याधुनिक होने की दौड़ में शामिल हो गई है। घाटी इलाके में हर साल आने वाली बाढ़ से पैदा होने वाली परेशानियो ंको दूर करने के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके सहारे घाटी की नदियों के जल स्तर का रियल टाइम डेटा मिलेगा। जिससे यह तय करने में आसानी होगी कि निगम के जलाशयों से कब कितना पानी छोडऩा है। प्रणाली यह भी बता देगी कि कितना पानी छोडऩे पर निचले इलाकों में कितना जलस्तर बढ़ेगा। निगम का मानना है कि अत्याधुनिक बाढ़ नियंत्रण प्रणाली के प्रयोग के बाद बाढ़ से होने वाली समस्याएं व नुकसान कम होंगे।

पल-पल का डेटा आएगा
नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के अंतर्गत 50 करोड़ रूपयों की लागत से निगम के मैथन कार्यालय में अत्याधुनिक पद्धति स्थापित की जा रही है। जिसके अंतर्गत विशाल कंट्रोल व निगरानी कक्ष स्थापित किया जा रहा है। जहां मौजूद मॉनिटर से डीवीसी के आधीन पूरे इलाके पर नजर रखी जा सकेगी। विशेषज्ञ व अधिकारी पल-पल की जानकारी ले सकेंगे। निगम ऐसे ही मॉनीटर नई दिल्ली व कोलकाता में भी स्थापित करेगा ताकि केन्द्र व राज्य सरकार को भी रियल टाइम में तथ्य मिल सकें।


ऐसी थमेगी बंगाल में दामोदर से बाढ़ की परेशानी
140 करोड़ रूपए मिले हैं विश्व बैंक से
केंद्र सरकार के सहयोग से देश की 298 संस्थाओं को विश्व बैंक से आसान शर्तों पर ऋण प्राप्त हुआ है। इनमें डीवीसी भी शामिल है। डीवीस को मिले 140 करोड रुपए से डैम रिहैबिलिटेशन एंड इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के तहत मरम्मत व अन्य आधुनिकीकरण का काम शुरू किया गया है। आधुनिकीकरण के कारण ही अब मैथन डैम के गेट रिमोट कंट्रोल की सहायता से खोले जा सकते हैं।
डीवीसी के चीफ इंजीनियर (सिविल) सत्यव्रत बंद्योपाध्याय ने बताया कि नेशनल हाइड्रोलॉजी योजना के अंतर्गत सेटेलाइट की सहायता से तकनीक का आधुनिकीकरण हो रहा है। इससे बाढ़ नियंत्रण में सहायता मिलेगी।
——-
ऐसे काम करेगी प्रणाली
झारखंड व पश्चिम बंगाल में फैले डीवीसी के विस्तारित इलाके में उपग्रह आधारित आधुनिक पद्धति से नजर रखी जा सकेगी। अब तक कैचमेंट एरिया से बांध में आने वाले पानी की जानकारी जगह जगह लगे वॉटर गेज की मैनुयल रीडिंग से पता चलते थे। बांध के जलस्तर में हुई वृद्धि के आधार पर ही डीवीसी प्रशासन पानी छोडऩे की मात्रा तय करता था। पानी छोडऩे के बाद विभिन्न इलाकों में आई बाढ़ के लिए डीवीसी के ऊपर ही दोष मढ़ा जाता था। नई पद्धति शुरू होने के बाद अब पूरी व्यवस्था बदल जाएगी। हर वॉटर गेज पर लगे उपग्रह आधारित ट्रांसमीटर जलस्तर की सूचना देंगे। डेटा एक्विजिशन सिस्टम की सहायता से पूरे इलाके की जानकारी एक साथ आएगी। उसके बाद डिसीजन सपोर्ट सिस्टम की सहायता से यह तय किया जाएगा कि कितनी मात्रा में पानी छोडऩे की जरूरत है। मामला यहीं खत्म नहीं होगा पद्धति रियल टाइम में यह भी बता देगी कि पानी छोडऩे पर किस इलाके में कितना जल स्तर बढ़ेगा। सिस्टम यह जानकारी भी दे देगा किस इलाके में कितना पानी रखने की क्षमता है। पानी छोडऩे से पहले ही डीवीसी के पास पूरी तस्वीर स्परूट रहेगी। फल स्वरुप निचले इलाके के लोगों को सतर्क किया जा सकेगा। बाढ़ पर नियंत्रण होगा। उससे होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। प्रभावित इलाके के लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा सकेगा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो