भारत और बांग्लादेश के बीच 4156 किलोमीटर की सीमा है। जिसमें से 2217 किलोमीटर पश्चिम बंगाल से जुड़ी हुई है। सीमा के शत प्रतिशत हिस्से में बाड़बंदी अभी कोसो दूर है। सैकड़ों किलोमीटर सीमा नदी निर्धारित करती है। खुली सीमा का फायदा उठाकर घुसपैठिए पहले पश्चिम बंगाल फिर हावड़ा और सियालदाह स्टेशन से देश के अलग अलग हिस्सों में पहुंच जाते हैं। बड़ी वारदातों के बाद एक बार फिर खुली सीमा का फायदा उठाकर वापस बांग्लादेश चले जाते हैं।
बांग्लादेशी डकैती गिरोह के क्राइम पैटर्न पर नजर डालने से मालूम चलता है कि गिरोह छोटे शहरों में रेल लाइन के किनारे डकैती करता है। वहीं बड़े शहरों और महानगरों में पॉश कॉलोनी को अपने निशाने पर लेता है। छोटे शहरों में वारदात के बाद रेल लाइन के सहारे स्टेशन तक पहुंचकर वारदात के तुरंत बाद आने वाली ट्रेनों से शहर छोड़ देता है। वहीं बड़े शहरों की पॉश कॉलोनियों की हरियाली और शांति उन्हें वारदात के लिए मुफीद लगती है। आधी रात के बाद वे यहां वारदात कर अपने ठिकानों पर पहुंच जाते हैं। जहां से एक साथ या अलग अलग होकर कुछ दिनों के लिए शहर छोड़ देते हैं। कई बड़ी वारदातों के बाद वापस बांग्लादेश चले जाते हैं।
19 अगस्त 2019- पश्चिम बंगाल के नरेन्द्रपुर में खुद को पुलिस बताकर घर में घुस कर डकैती करने वाले गिरोह के गिरफ्त में आए चार सदस्यों में तीन बांग्लादेशी है।
7 अगस्त 2019 – सौ से ज्यादा डकैती के मामलों में वांछित बांग्लादेशी डकैत गिरोह के सदस्य मानिक उर्फ मास्टर (35) व आलमगीर (33) को सराय काले खां इलाके से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। दोनों दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में हुई डकैती के मामले में सजा भी काट चुके थे।
29 जून 2019- लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस ने इनकाउंटर के बाद बांग्लादेश डकैत गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया। उनपर देहरादून, दिल्ली, जबलपुर, भुवनेश्वर व बैंगलुरू में भी डकैती के मामले दर्ज थे।
4 मई 2019 – दिल्ली के सरायकाले खान इलाके से दिल्ली पुलिस ने डकैती के कई मामलों में वांछित बांग्लदेशी डकैत गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया।
10 अक्टूबर 2018- कर्नाटक के धारवाड़ में पुलिस ने दम्पति से हुई ८ लाख की लूट के मामले में सात सदस्यीय बांग्लादेशी डकैत गिरोह को चिन्हित किया था। तीन जने गिरफ्तार किए जा चुके हैं।