क्या है घटना 20 मई 2014 को सियालदह स्टेशन के बाहर शाम पौने सात बजे के करीब युवतीका शव ट्रॉली बैग से जीआरपी ने बरामद किया था। शव के कई टुकड़े कर ट्रॉली बैग में रख दिए गए थे। तत्कालीन रेलवे पुलिस के सब इंस्पेक्टर अभिजीत साहा उस वक्त वीआईपी कार पार्किंग के पास ड्यूटी कर रहे थे। ट्रॉली बैग के ईर्द-गीर्द कुत्तों की भीड़ देख उन्हें संदेह हुआ। ट्रॉॅली बैग की जांच करने के बाद उसे खोला गया। टुकड़ों में शव को देख कर लोग दंग रह गए। प्राथमिक जांच में मृतक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही थी। ट्रॉली बैग से मिले एक कैस मेमो के आधार पर मृतक के नाम व उसके घर का पता लगाने में पुलिस को कामयाबी मिली। महिला का नाम जयंती देव था और वह लेकटाउन(lake town) के ए ब्लॉक की रहने वाली थी। पुलिस(police) पता करते हुए उसके फ्लैट तक पहुंच गई। इस मामले में जंयती के पति सुरजीत देव से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसकी प्रेमिक लिपिका पोद्दार और सुपारी किलर संजय बिश्वास को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
लिपिका पोद्दार से पूछताछ में पता चला कि उसने ही संजय के बारे में सुरजीत को सलाह दी थी। जांच में पाया गया कि लिपिका की नजर जंयती के फ्लैट पर थी। सुरजीत पत्नी से अलग बिराटी में रहता था। सुरजीत और लिपिका ने जंयती की हत्या की साजिश रची। १२ हजार रुपए में संजय को जयंती की हत्या करने की सुपारी दी।
क्या हुआ था 19 मई की शाम को 19 मई की शाम सुरजीत ने अपनी पत्नी जयंती को फोन कर जरूरी बात करने के लिए बिराटी वाले फ्लैट पर बुलाया था। मौक ा देखकर पति ने जयंती के सिर पर भारी किसी चीज से वार कर दिया। सिर पर चोट लगने से वह फर्श पर गिर पड़ी। इसके बाद सुरजीत ने लिपिका को फोन किया। थोड़ी देर में लिपिका संजय को लेकर फ्लैट में पहुंची। सुरजीत और लिपिका ने मिलकर तकिया से काफी देर तक जयंती के नाक व मुंह को दबाकर रखा। इसके बाद संजय ने धारदार हथियार से जयंती के दुकड़े-टुकड़े कर दिए। यहां से शव को ट्रॉली बैग में भर कर एक टैक्सी से सियालह स्टेशन पहुंचे।
पुलिस की कार्रवाई पर एक नजर जीआरपी के सब इस्पेक्टर अभिजीत साहा इस मामले की जांच कर रहे थे। अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के तीन महीने बाद पुलिस ने सियालदह कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर दिया था। भादवि की धारा 302 (हत्या), 201 ( सबूत मिटाने) 120बी (षडयंत्र) के तहत मामले की सुनवाई शुरू हुई थी।