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वायु प्रदूषण: कोलकातावासियों ने सभी शहरों को पीछे छोड़ा

locationकोलकाताPublished: Nov 08, 2018 10:01:42 pm

– दिवाली की रात के बाद महानगर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता अत्यंत खराब
– आतिशबाजी से हुआ भारी प्रदूषण

kolkata West Bengal

वायु प्रदूषण: कोलकातावासियों ने सभी शहरों को पीछे छोड़ा

कोलकाता

महज एक रात की आतिशबाजी में कोलकातावासियों ने वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई समेत देश के सभी शहरों को पछाड़ दिया। दीपावली की रात 1:00 महानगर की वायु में धुलकण (पी.एम. 2.5) का स्तर 357 रिकार्ड किया गया। उस समय दिल्ली की वायु में उसका स्तर 323, मुंबई में 140, चेन्नई में 112 एवं बेंग्लूरू में 120 था। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सूत्रों के अनुसार कोलकाता, सिलीगुड़ी, हावड़ा आदि शहरों में देर रात कहीं-कहीं वायु में धूलकण (पी.एम. 2.5) का स्तर 400-500 तक रिकार्ड किया गया है। इन आंकड़ों से आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि कोलकाता एवं पश्चिम बंगाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कितना पालन हुआ। पुलिस आदेश का पालन करवाने में कितना सफल रही।
कोलकाता के कुछ हिस्सों में दीपावली के एक दिन बाद गुरुवार को वायु गुणवत्ता अत्यंत खराब रही क्योंकि लोगों ने रात आठ से दस बजे तक पटाखे जलाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया।
गुरुवार को शहर के उत्तरी हिस्से में बीटी रोड पर रवींद्र भारती स्वचालित वायु निगरानी केंद्र में पीएम 2.5 का स्तर 330 दर्ज किया गया. मध्य कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल निगरानी केंद्र में यह 373 रहा।
अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर 211 एक्यूएल पर बहुत अस्वास्थ्यकर रहा। इस स्तर का तात्पर्य है कि हर व्यक्ति गंभीर स्वास्थ्य दुष्प्रभावों की चपेट में आ सकता है।
वैसे दूतावास के एक अधिकारी ने कहा कि दूतावास का सूचकांक केवल होची मिन्ह सरणी के आसपास के क्षेत्र की वायु गुणवत्ता पेश करता है और यह पूरे शहर का परिचायक नहीं है।
जब वायु प्रदूषण सूचकांक के बारे में पूछा गया तो पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने मंगलवार को काली पूजा और बुधवार को दीपावली के दिन वायु प्रदूषण में सुधार या गिरावट के बारे में कोई निष्कर्ष देने से इनकार कर दिया।
क्या है धूलकण (पी.एम. 2.5)
पी.एम. २.५ को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। हवा में पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है। पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंचता है।

बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए घातक

पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। खांसी होती है और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। एलर्जी भी होती है। लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है।
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