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कभी ज्ञान का केंद्र रहा एल्डीन हाउस बना वीरान

locationकोलकाताPublished: Jan 11, 2019 10:30:00 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

अपनी बदहाली और जीर्ण-शीर्ण अवस्था पर बहा रहा आंसू—-2 सदी पुराना उच्च शिक्षा का था हब—आधुनिक शिक्षा के बीज विलियम कैरी के संरक्षण में यहीं बोए गए थे

kolkata

कभी ज्ञान का केंद्र रहा एल्डीन हाउस बना वीरान

कोलकाता (शिशिर शरण राही) . 2 सदी पहले भारत में आधुनिक शिक्षा की नींव डालने वाला पश्चिम बंगाल का एल्डीन हाउस इन दिनों अपनी बदहाली और जीर्ण-शीर्ण अवस्था पर आंसू बहा रहा है। हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित एल्डीन हाउस की स्थापना 1818 में संस्कृत, फारसी, अरबी, खगोल शास्त्र, भूगर्भ शा, वनस्पति शा जैसे गंभीर विषयों पर अध्ययन करने के लिए की गई थी और उस समय विश्व के शैक्षिक जगत में इसका जादू सिर चढक़र बोलता था। देश-विदेश के विद्यार्थी यहां उच्च शिक्षा ग्रहण करने आते थे, लेकिन इन दिनों खंडहर में तब्दील एल्डीन हाउस वीरान पड़ा है। विडंबना है कि इसी जीर्ण-शीर्ण एल्डीन हाउस में ही आज के श्रीरामपुर कॉलेज का जन्म हुआ था। श्रीमपुर के कई निवासी आज भी इस हकीकत से अंजान हैं कि आज से 2 सदी पहले कोलकाता से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित श्रीरामपुर के इसी एल्डीन हाउस में में आधुनिक शिक्षा के बीज विलियम कैरी के संरक्षण में बोए गए थे। कैरी आधुनिक शिक्षा के प्रसार और आधुनिक संस्थानों की नींव रखने में एक अग्रणी व्यक्ति थे। आज इस हाउस की इमारत में दरारें आ गई हैं और यह खंडहर में तब्दील हो गया है।
—-भारत ही नहीं, एशिया का दूसरा सबसे पुराना कॉलेज
कला, विज्ञान और कॉमर्स फैकल्टी में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर वाला श्रीरामपुर कॉलेज भारत ही नहीं, बल्कि एशिया का दूसरा सबसे पुराना कॉलेज है। उधर कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. वनसंगलुरा ने पत्रिका संवाददाता के सवालों के जवाब में शुक्रवार शाम को बताया कि अभी वर्तमान में एल्डीन हाउस का इलाका वाटर वक्र्स विभाग-सह-कोलकाता मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) के अधीन है। कॉलेज की ओर से हावड़ा के तत्कालीन मेयर रथिन चक्रवर्ती से गत वर्ष एल्डीन हाउस की जमीन कॉलेज को उपलब्ध कराने के लिए संपर्क किया गया था और उन्होंने इस संबंध में जल्द ही जांच-पड़ताल कर मामले में सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी इस संबंध में वे जल्द भेंट करेंगे। अभी तक वे खुद 2 बार एल्डीन हाउस का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि एल्डीन हाउस हमारी विरासत है और उसका जीर्णोद्धार-नवीनीकरण कर वहां सांस्कृतिक केंद्र बनाया जाएगा। 1817 में हिन्दू कॉलेज (वर्तमान नाम प्रेसीडेंसी) के बाद 1818 में श्रीरामपुर कॉलेज की स्थापना हुई थी।
–यूरोपीय छात्रों ने यहीं सीखा था संस्कृत, फारसी, अरबी, खगोल विज्ञान, भूविज्ञान का पाठ
15 जुलाई, 1818 से 3 साल के लिए, एल्डीन हाउस में
यूरोपीय छात्रों के 37 बैच ने संस्कृत, फारसी, अरबी, खगोल विज्ञान, भूविज्ञान और वनस्पति विज्ञान का पाठ सीखा। इस हाउस में आज वाटर पंपिंग स्टेशन है। पम्पिंग स्टेशन परिसर देखने से न केवल एल्डीन हाउस के प्रति उपेक्षा की भयावहता का पता चलता है बल्कि यह भी पता चलता है कि हमारा गौरवशाली इतिहास कैसे आज अज्ञानता में खो गया है। यही वह जगह है जहां विलियम कैरी ने 37 छात्रों के साथ संस्था की स्थापना की थी। यह मूल रूप से डेविड ब्राउन की संपत्ति थी, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के एक पादरी थे और जिन्होंने कलकत्ता बाइबल सोसायटी की स्थापना की थी। ब्राउन 1802 से 1813 तक एल्डीन हाउस में रहे। कैरी ने अपने सहयोगियों जे. मार्शमैन और डब्ल्यू. वार्ड के साथ श्रीरामपुर कॉलेज की स्थापना की थी। भाषाओं के साथ भू-विज्ञान के विशेषज्ञ कैरी ने 1831 तक फोर्ट विलियम कॉलेज में बतौर बांग्ला प्रोफेसर सेवाएं भी दी। वर्तमान में 93 शिक्षण कर्मियों और 3500 छात्र-छात्राओं सहित इस कॉलेज में थियोलॉजी में 165 विद्यार्थी और 15 शिक्षक हैं।
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