संथाली भाषा में फिल्म बनाने व उसके प्रदर्शन के बारे में हांसदा ने बताया कि नक्सलियों के कारण सारे फिल्म थियेटर बंद हो गए। आज हम गांवों में जाकर फिल्मों का प्रदर्शन करते हैं। धीरे-धीरे हम अपनी संस्कृति को पुन: जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि युवाओं क ा आक र्षण बढ़ रहा है। पहले से स्थिति बेहतर रहेगी। हर किसी की भाषा के साथ उनकी संस्कृति जुड़ी है। आज संस्कृति व भाषा को बचाना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
युवाओं की मनोदशा को दर्शाती है ‘सपनेरो गुपोरो’ बंजारा भाषा में बनी फिल्म सपनेरो गुपोरो के निर्देशक विक्टर दयालान ने कहा कि उनकी फिल्म युवाओं के लिए हैं। भारत में ऐसा देश हैं जहां युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। लेकिन आज यह एक समस्या है कि युवा सही फैसला नहीं ले पाते हैं। उनके गलत फै सलों के कारण उनका पूरा जीवन व्यर्थ हो जाता है। जब उन्हें समझ आता है तो वो बहुत पीछे छूट जाते हैं। युवाओं का यह वर्ग पढ़ा लिखा है लेकिन सामाजिक जीवन की समझ इनमें नहीं है। ऐसे ही युवाओं की मनोदशा की कथा है सपनेरो गुपोरो। निर्देशक दयालान ने कहा कि यह उनकी पहली फिल्म है जो इस महोत्सव तक पहुंची है। हम दर्शकों के लिए और फिल्में भी जल्द ही लाएंगे।