इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से हथियारों की तस्करी: ट्रक मालिक गिरफ्तार-
कोलकाताPublished: Nov 17, 2018 11:10:10 pm
खुलासा: अत्याधुनिक हथियार बनाने के उपकरणों का भी करता था तस्करी
इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से हथियारों की तस्करी: ट्रक मालिक गिरफ्तार-
एसटीएफ ने हथियार तस्करी मामले में एक और को दबोचा कोलकातासरकारी हथियार निर्माण इकाई इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से हथियार तस्करी करने के आरोप में कोलकाता पुलिस की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) ने शुक्रवार रात एक ट्रक मालिक को गिरफ्तार किया। आरोपी का नाम प्रेमचंद कुर्मी उर्फ लाटुआ है। पुलिस ने बड़ी मात्रा में अर्धनिर्मित हथियार व हथियारों के उपकरणों के साथ कुर्मी को दबोचा। आरोपी इच्छापुर के कुमारपाड़ा इलाके का रहने वाला है। कई ट्रकों के मालिक कुर्मी अपने ट्रकों में बड़ी चालाकी से हथियारों के उपकरणों को छुपाता था और हथियार कारोबारियों को सप्लाई करता था। वह लंबे समय से इस गोरखधंधे में संलिप्त था। आरोपी से पूछताछ कर पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह हथियारों को किसे और किस उद्देश्य से सप्लाई करता था? उसे अर्धनिर्मित हथियार व अत्याधुनिक हथियारों के उपकरण कैसे मिलते थे? पुलिस को संदेह है कि फैक्ट्री का कोई कर्मचारी हथियार तस्करी मामले में शामिल है।- -तस्करी मामले में पहले भी गिरफ्तारी२०१७ के सितम्बर महीने में विजिलेंस अफसर गौतम मंडल ने फैक्ट्री से हथियारों की तस्करी का खुलासा किया था। सीबीआई और एसटीएफ पूरे मामले की जांच कर रही है। एसटीएफ ने पिछले साल १७ अक्टूबर को इस मामले में फैक्ट्री के जूनियर इंजीनियर शंभू भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के बाद पुलिस ने नोआपाड़ा निवासी दीपक साव को दबोचा था। उसके घर से २० एसएलआर राइफल के मैगजीन व हथियारों के विभिन्न उपकरण बरामद हुए थे। दीपक की निशानदेही पर गत ६ मई को पुलिस ने अजय कुमार पांडे, उमेश राय, जयशंकर पांडे, कार्तिक साव समेत ६ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से पुलिस ने हथियार बनाने के उपकरण बरामद किए थे। इन आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने शुक्रवार को कुर्मी के बारे में पता चला। पुलिस संदेह के आधार पर फैक्ट्री के ३ कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रही है। मुंगेर और झारखंड में सप्लाईएसटीएफ सूत्रों के मुताबिक इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से हथियारों की तस्करी कर तस्कर बिहार के मुंगेर और झारखंड के कारोबारियों को सप्लाई करते थे। वहां से हथियार नक्सलियों व माओवादियों को भी पहुंचाया जाता था। फैक्ट्री से निकलने वाले स्क्रैप में छिपाकर हथियारों की सप्लाई होती थी।