script‘अनुभव और आत्मा है आयुर्वेद’ | aryuveda is soul n a best way of living science | Patrika News
कोलकाता

‘अनुभव और आत्मा है आयुर्वेद’

जन स्वास्थ्य में आयुर्वेद का योगदान- —आयुर्वेद कार्यशाला—-एसवीएस मारवाड़ी अस्पताल का आयोजन

कोलकाताMar 24, 2019 / 10:19 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

‘अनुभव और आत्मा है आयुर्वेद’

कोलकाता. आयुर्वेद एकमात्र ऐसा विज्ञान है, जो मानव को जीना सीखाता है। आयुर्वेद आत्मा के साथ-साथ अनुभव है, जो स्वास्थ्य की रक्षा करता है। यह विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणाली है, जो विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान और जीवन का ज्ञान है। संसार के सबसे पुराने ग्रंथ ऋग्वेद की संहिता में भी आयुर्वेद के महत्व का उल्लेख किया गया है। श्रीविशुद्धानंद सरस्वती (एसवीएस) मारवाड़ी अस्पताल के ऑडिटोरियम में आयुर्वेद विभाग की ओर से जन स्वास्थ्य में आयुर्वेद के योगदान पर रविवार को हुई आयुर्वेद कार्यशाला के दौरान वक्ताओं ने यह बात कही। गणेश वंदना से शुरू कार्यशाला में ऋतु परिवर्तन पर क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए और इस दौरान आहार क्या हो? इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। बतौर वक्ता 3 वैद्य राधेश्याम श्रीवास्तव, पीयूष कुमार द्विवेदी, तपन देव गुप्ता ने कार्यशाला में भाग लेते हुए जन स्वास्थ्य में आयुर्वेद के योगदान सहित आयुर्वेद से विभिन्न रोगों के इलाज की जानकारी दी। (एसवीएस) मारवाड़ी अस्पताल के अध्यक्ष दिनेश कुमार सेकसरिया, उपाध्यक्ष दुर्गा प्रसाद नाथानी, महामंत्री ओमप्रकाश रूईया, मेडिकल सुपरिन्टेन्डेंट डॉ. गोपाल दवे, उपाध्यक्ष भरत जालान और प्रबंधक सुरेश कुमार शर्मा के सान्निध्य में हुई कार्यशाला में राष्ट्रगान भी हुआ और भारत माता के जयकारों से ऑडिटोरियम गूंज उठा। वैद्य पीयूष कुमार द्विवेदी ने कहा कि असल चिकित्सा तो आयुर्वेद से ही होती है और कुछ ऐसी चिकित्सा जो एलोपैथी में नहीं हो पाती वह आयुर्वेद में संभव है। उन्होंने कहा कि औषधि विज्ञान, फिजिक्स, केमिस्ट्री या सर्जरी सबकुछ भारत से ही शुरू हुआ। गुप्ता ने कहा कि न कोई पैथी, न एलोपैथी, न होम्योपैथी बल्कि आयुर्वेद जीने का सर्वोत्तम राह बताता है। यह ऐसा विज्ञान है, जो मनुष्य को प्रेम करना, खुश रहना और स्वस्थ रहना सीखाता है। हम कैसे बीमार नहीं पड़ें? इसके बारे में जानकारी देना ही आयुर्वेद का मकसद है। उन्होंने कहा कि यह वहम है कि आयुर्वेद धीरे-धीरे काम करता है। गुप्ता ने आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान करते हुए कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा विज्ञान नहीं है जिसमें प्रकृति की चर्चा है। आयुर्वेद 2 शब्दों आयुष और वेद से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ है–जिस ग्रंथ में हित आयु (जीवन के अनुकुल), अहित आयु (जीवन के प्रतिकूल), सुख आयु (स्वस्थ जीवन) और दुख आयु (रोग अवस्था) का वर्णन हो उसे ही आयुर्वेद कहा जाता है। 1919 में स्थापित इस अस्पताल के इस साल 100 साल पूरे होने पर यह आयोजन किया गया था। संचालन प्रबंधक सुरेश कुमार शर्मा ने किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो