असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi ) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) को लेकर अपनी पार्टी की महत्वाकांक्षा जाहिर कर दी है। उनकी नजर बंगाल के लगभग 30 फीसदी अल्पसंख्यक मतों और 90 विधानसभा सीटों पर है। उनके कदम से तृणमूल कांग्रेस (Trinmool congress) चौकस हो गई है। वहीं भाजपा (BJP) इसे नए अवसर के रूप में देख रही है।
कोलकाता.राजनीति में कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है। अब
पश्चिम बंगाल के मौजूदा राजनीतिक
हालत को ही देख लें। तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का आरोप लगाकर
भाजपा ने जब पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत कर ली तो तेजी से ध्रुवीकरण की गवाह बनी राज्य की राजनीति में
असदुद्दीन ओवैसी ने भी दस्तक दे दी है। उनकी पार्टी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने संकेत दिए है कि वर्ष 2021 में प्रस्तावित राज्य विधानसभा के चुनाव में वह सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगीे। उनकी नजर राज्य की उन 90 विधानसभा सीटों पर है जो अल्पसंख्यक बहुल हैं।
दरअसल राज्य में लगभग 30 फीसदी अल्पसंख्यक मत पिछले कुछ चुनावों तक परंपरागत रूप से तृणमूल कांग्रेस के साथ थे। जिनके सहारे ममता ने राज्य में वाममोर्चे के 34 साल के दीर्घगामी शासन को हटाकर राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सत्ता स्थापित की थी।
भाजपा के राज्य में हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने पर यह वोट बैंक तृणमूल कांग्रेस की छतरी के नीचे और मजबूती से इक_ा होता गया। पर पिछले कुछ समय से तृणमूल कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की लाइन पकडऩे से कट़्टरपंथी अल्पसंख्यक अवसर तलाश रहे थे। उन्हें यह अवसर असदुद्दीन ने मुहैया कराया है। राज्य की राजनीति में सधे कदमों से आगे बढ़ते हुए ओवैसी ने उत्तर बंगाल के जिलों का चयन किया जहां भाजपा की अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई और अल्पसंख्यक मत ज्यादा हैं। इस लोकसभा चुनाव में उत्तर बंगाल से तृणमूल कांग्रेस का सफाया हो गया। भाजपा तेजी से आगे बढ़ी अब वहां तृणमूल अपनी खोई जमीन वापस पाने के प्रयास कर रही है जिसे ओवैसी की पार्टी ने कहीं कहीं चुनौती देना शुरू कर दिया है।
इसलिए ममता बनर्जी को यह सार्वजनिक तौर पर कहना पड़ा कि प्रशासन उत्तर बंगाल के सीमायी जिलों में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों पर नजर रखे। उनका इशारा निश्चित तौर पर ओवैसी की पार्टी की ओर ही था।
ममता बनर्जी के बयान के बाद ही ओवैसी ने मोर्चा संभालने में देर नहीं की। उन्होंने राज्य में मौजूद उनकी पार्टी की संभावनाओं को लेकर अब मैदान में उतरने की घोषणा कर ही दी। वहीं भाजपा इस पूरे घटनाक्रम को अपने अनुकूल बता रही है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक ओवैसी राज्य में मजबूत होते हैं तो तृणमूल कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर होगा। जिसका सीधा असर भाजपा के पक्ष में आएगा।