‘स्वच्छ-नैतिकतापूर्ण राजनीति के ध्रुवतारा थे अटलजी’
कोलकाताPublished: Sep 09, 2018 10:30:44 pm
वाजपेयी की स्मृति में सार्वजनिक स्मरण सभा—बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय और कोलकाता की 60 संस्थाओं का आयोजन–राज्यपाल ने कहा, राजनीति में मर्यादित शब्दों के प्रयोग के पक्षधर थे वाजपेयी–कलामंदिर में अटलजी के एकल काव्यपाठ की दृश्य-श्रव्य प्रस्तुति
‘स्वच्छ-नैतिकतापूर्ण राजनीति के ध्रुवतारा थे अटलजी’
कोलकाता. स्वच्छ और नैतिकतापूर्ण राजनीति के ध्रुवतारा थे अटलजी। शब्दों की सीमा में उनके व्यक्तित्व को बांधना बेहद कठिन है। युगों-युगों तक देश अटलजी को याद रखेगा। देश को स्वच्छ-स्वस्थ राजनीति की अगर किसी ने दिशा दिखाई, तो वाजपेयी ने। वे राजनीति में मर्यादित शब्दों का प्रयोग करने के पक्षधर थे और साहित्य के प्रति उनका विशेष प्रेम था। काश आज वे जीवित रहते, तो देश को अपशब्दों-अमर्यादित आचरण की राजनीति नहीं देखनी पड़ती। अटलजी की रचनाओं की एक-एक पंक्ति उनके हृदय की शुद्ध भावनाओं को प्रकट करती है। जमीनी कार्यकर्ताओं के प्रति उनका स्नेहपूर्ण भाव था। बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कलामंदिर में रविवार को बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय तथा महानगर की 60 संस्थाओं की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आयोजित सार्वजनिक स्मरण सभा में बतौर अध्यक्ष यह उद्गार व्यक्त किए। त्रिपाठी ने वाजपेयी के साथ गुजारे लम्हों को याद करते हुए कहा कि लोकसभा में महज 01 वोट से हार गए, लेकिन सांसदों को पैसे से नहीं खरीदा जबकि 4 वोट के समर्थन का दावा करने वाला एक सांसद उन्हें समर्थन देने को राजी था। कभी कुर्सी का मोह नहीं किया। उन्होंने कहा कि हर राष्ट्रवादी हिन्दुस्तानी के मन को छू लेने वाली रचना थे। देश के साथ-साथ बंगाल के लिए उनके ्िदल में किस कदर स्नेह-अपनापन था इसका उदाहरण उनके वक्तव्य…..भारत कोई जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र का मुखड़ा है और बंगाल-पंजाब इसके सशक्त कंधे हैं...से पता चलता है। उन्होंने भारत को दुनिया में नई शक्ति बनने की राह दिखाई और पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण से इसे साबित किया। राष्ट्रप्रेम के लिए उनके खून में उबाल था।
—-काव्य पाठ कर राज्यपाल ने किया नमन
राज्यपाल ने वाजपेयी के सम्मान में खुद की लिखी कविता….‘ परमाणु परीक्षण किया पोकरण में जब तुमने, प्रतिबंधों की सीमा भी न तुमको झुका सकी, झुक गए विश्व के महाबली और जगा दिया भारत का स्वाभिमान तुमने, अंधकार जब दिख रहा था, प्रखर ज्योत तुम्हीं बने, हे राष्ट्रपुरुष अपनी विधा से दूर की तुमने सारी शंकाएं, राजनीति में खड़े हिमालय से थे तुम, हाथ तुम्हारे बंधकर कभी विवश नहीं हुए, तेरी मुखरित वाणी से देश की संस्कृति जगती थी….’ पाठ कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्य वक्ता नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन प्रो. बलदेव भाई शर्मा ने अटलजी के साथ बिताए संस्मरण सुनाए। उन्होंने अटलजी को भारतीय ऋषि परंपरा का संवाहक बताते हुए कहा कि दूसरों को बड़ा बनाने में हमेशा वे सक्रिय रहते थे। उनके वक्तव्य में भारत की सम्पूर्ण संस्कृति-सद्भाव साकार हो उठता था। गौड़बंग विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रो. अचिन्त्य विश्वास ने बंगाल के साथ अटलजी के चिरस्थायी संबंधों की चर्चा की। लोकप्रिय गायक ओम प्रकाश मिश्र ने कबीर के पद झीनी-झीनी बीनी चदरिया की सस्वर प्रस्तुति की।
—-बेरीवाल ने वाजपेयी के साथ बताया पारिवारिक संबंध
राजनैतिक कार्यकर्ता प्रभाकर तिवारी ने अटलजी को निष्काम कर्मयोगी बताया। सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम दास बेरीवाल ने अटलजी के साथ अपने पारिवारिक संबंधों की चर्चा की। उद्योगपति-समाजसेवी सज्जन कुमार बंसल ने अटलजी को सर्व स्वीकार्य जननेता बताया। कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से1994 में आयोजित अटलजी के एकल काव्यपाठ की दृश्य-श्रव्य प्रस्तुति की गई। महावीर बजाज, अरुण प्रकाश मल्लावत, बंशीधर शर्मा, शार्दुल सिंह जैन, गोविंद राम अग्रवाल, मोहनलाल पारीक, शान्तिलाल जैन, राजेन्द्र खंडेलवाल आदि मंचासीन थे। संचालन कुमारसभा पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने किया। सभा के अंत एक मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की गई।
—अनेक सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने अर्पित की श्रद्धांजलि बनवारी लाल सोती, सरदार मल कांकरिया, नंदलाल शाह, लक्ष्मी कांत तिवारी, ईश्वरी प्रसाद टांटिया, जयप्रकाश सिंह, संतोष सर्राफ, भागीरथ चांडक, रिद्धकरण बोथरा, अरुण चूड़ीवाल, मीना पुरोहित सहित अनेक सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने अटलजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। कुमारसभा सहित राजस्थान परिषद, बड़ाबाजार लाइब्रेरी, माहेश्वरी पुस्तकालय, जालान पुस्तकालय, पूर्वांचल कल्याण आश्रम, वनबंधु परिषद, परिवार मिलन, कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी, भारतीय भाषा परिषद, हरि सत्संग समिति, पारीक सभा, राजस्थान ब्राह्मण संघ, कलकत्ता कान्यकुब्ज सभा, परचम, अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन, महर्षि दधीचि सेवा ट्रस्ट, कान्य कुब्ज ब्राह्मण समाज,श्री स्थानकवासी जैन महासभा, मातृ मंगल प्रतिष्ठान, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, मनीषिका, मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी प्रभृति 60 विशिष्ट संस्थाओं ने अटलजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह को सफल बनाने में भंवर लाल मूंधड़ा, भागीरथ सारस्वत, मनोज काकड़ा, सत्य प्रकाश राय, संजय रस्तोगी, योगेश राज उपाध्याय, दुर्गा व्यास, राधेश्याम सोनी, सत्येंद्र सिंह अटल, राम सोनी, आशीष चतुर्वेदी और सर्वेश राय आदि का योगदान रहा।