‘जो साहित्यकार संवेदनशील नहीं, वह ठूंठ हो जाता है’
कोलकाताPublished: Mar 15, 2019 09:47:14 pm
भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार समारोह
‘जो साहित्यकार संवेदनशील नहीं, वह ठूंठ हो जाता है’
कोलकाता. जो साहित्यकार संवेदनशील नहीं होता, वह ठूंठ हो जाता है। साहित्यकार चिंतक होता है और उसके चिंतन का फलक विस्तृत होता है। राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने शुक्रवार को भारतीय भाषा परिषद में बतौर अध्यक्षीय भाषण देते हुए यह बात कही। भारतीय भाषा परिषद में शुक्रवार को असमिया लेखक नगेन सैकिया, कन्नड़ लेखक, साहित्य अकादमी अध्यक्ष पद्मश्री चंद्रशेखर कम्बार और हिंदी की चर्चित लेखिका कुसुम अंसल को कर्तृत्व समग्र सम्मान से सम्मानित किया गया। उर्दू के लेखक मोहम्मद ऐजाज, बांग्ला लेखिका कौशिकी दासगुप्ता, तेलुगु लेखक बंडारी राजकुमार और हिंदी के शिवेन्द्र को युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के हाथों ये पुरस्कार दिए गए। सभी पुरस्कृत लेखकों की तरफ से कुसुम अंसल ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि एक जुनून है जो हमें साहित्य के लिए प्रेरित करता है। साहित्य को ब्रह्मानंद सहोदर कहा गया है, इसलिए शब्द की साधना ही हमारे जीवन का उद्देश्य है। हर लेखक को निराशा और आशा दोनों को भुगतना पड़ता है। राज्यपाल ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि जिन साहित्यकारों का सम्मान किया गया वे अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय हैं। उन्होंने समाज को दिशा दी है। लेखक का अर्थ सिर्फ पन्ने रंगना नहीं है, सार्थक लिखना है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए नंदलाल शाह ने कहा कि हर भारतीय भाषा का महत्व है और उनका विपुल साहित्य हमें हमेशा प्रेरणा देगा। परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने संचालन करते हुए कहा कि आज परिषद का सभागार इतने भाषाओं के लेखकों और श्रोताओं की उपस्थिति से जगमग है और भारतीय एकता को मजबूती दे रहा है। उन्होंने बताया कि पुरस्कृत विद्वान बहुभाषी संवाद में शनिवार को पाठकों से संवाद करेंगे।