विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी से अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में उनके दिल और दिमांग के में जो बाते चल रहीं बातों को जुबान पर लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ममता दीदी, हर मामले में वोट की राजनीति नहीं होती। अयोध्या संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में जो बात आपके दिल में चल रही उसे मुंह पर लाई। इसके बाद भी ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के किसी नेता ने इस मुद्दे पर मुंह नहीं खोला।
क्या है ममता के चुप्पी साधने का सच
ंवामपंथियों के वोट बैंक रहे बंगाल के करीब 24 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं में सेंधमारी कर ममता बनर्जी वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल की सत्ता में आई और सत्ता में लम्बी पारी खेलने के लिए माकपा से दो कदम आगे बढ़ कर उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं के पक्ष लेती रहीं।
माकपा नीत वामपंथी दलों से टूट कर आए मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में बरकर्रा रखने के लिए राज्य के मस्जिदों के ईमामों के लिए भत्ता शुरु किया और मुस्लमानों को खुश करने के लिए उन्होंने मोहरम्म के जुलूस के लिए दुर्गा विर्सजन को बीच में ही रोक दिया था।
इसके अलावा ममता बनर्जी ने मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए भाजपा और हिन्दू संगठनों के धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों पर रोक लगाया। दूसरी ओर भाजपा ने ममता बनर्जी की तुष्टीकरण की राजनीति से नाराज बहुसंख्यक हिन्दुओं को अपने पाले में करने की रणनीति अपनाई।
पार्टी ने बंगाल में धार्मिक आयोजनों के प्रचार-प्रसार तेज कर अपनी नई जमीन तैयार करने लगी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे इसमें काफी बड़ी कामयाबी भी मिली। भाजपा ने पहली बार ४० प्रतिशत वोट पा कर बंगाल के 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटें जीत ली, जबकि तृणमूल कांग्रेस 45 प्रतिशत वोट पाई और उसकी सीटों की संख्या 34 से घट कर 22 पर आ गई।
भाजपा क्यों कर रही है ममता के बयान की मांग
अब भाजपा ममता बनर्जी से अयोध्या के विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ममता बनर्जी के बयान देने की मांग कर तृणमूल कांग्रेस के बचे हिन्दू समर्थकों को अपने पाले में करने के लिए यह साबित करने में जुटी है कि ममता बनर्जी अब भी मस्लिम के पक्षधर हैं।
तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ट नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ममता बनर्जी राम मंदिर पर बयान दे कर मुस्लिम मतदाताओं को नाराज नहीं करना चाह रही है और न ही अपने हिन्दू वोट बैंक में भाजपा को सेंध मारने का मौका देना चाहती हैं।