मूल रूप से बीकानेर निवासी दाऊलाल ने कोलकाता को अपनी जन्म और कर्मभूमि बताया। वर्तमान में महानगर के तेघडिय़ा में भरे-पूरे परिवार के साथ निवासरत दाऊलाल ने सवालों के जवाब में कहा कि रामकुमार और शरद का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरा परिवार बहुत खुश है और हमने न्याय के लिए 29 साल इंतजार किया। राम मंदिर पर तो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया पर दोनों की हत्या के जो कसूरवार हैं उन्हें कब सजा सुनाई जाएगी? दाऊलाल ने दुख और क्षोभ जताते हुए कहा कि जब पुलिस ने गोली चलाने से साफ इंकार कर दिया था, तो फिर आखिर किसके आदेश पर किसने और पुलिस ड्रेस में रामकुमार और शरद को गोली मारी? उस समय विवादित स्थल के चारों तरफ और अयोध्या शहर में यूपी पीएसी के 30 हजार जवान तैनात थे। कारसेवक विवादित ढांचे के गुंबद पर चढ़े और दोनों ने भगवा फहराया जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की। जब पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों लाल कोठी वाली गली के एक घर में छिपे लेकिन थोड़ी देर बाद जब बाहर निकले तो फायरिंग का शिकार हो गए।
दाऊलाल ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के चयनित रवीन्द्र गीतों का समस्वर हिन्दी गीतान्तर भी किया है, जिसे मन्ना-डे, अनूप जलोटा सहित कई मनशहूर फनकारों ने आवाज दी है। पिछले 30 साल से वे रवीन्द्र गीतों का उसी स्वर में हिन्दी भाषा में अनुवाद कर रहे हैं। रवीन्द्र गीतों के हिन्दी गीतान्तर के लिए दाऊलाल को अनेकों पुरस्कार से नवाजा भी जा चुका है। न केवल कोलकाता, जयपुर बल्कि अमेरिका तक भी दाऊलाल जाकर कई प्रोग्रामों में शिरकत कर चुके हैं।