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‘बांग्ला में अनुवादित गुरु ग्रंथ साहिब की पुस्तक दुनिया के बांग्लावासियों के लिए उपहार’

locationकोलकाताPublished: Feb 08, 2019 08:18:42 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब के बंगाली अनुवाद का विमोचन, गुरु नानकदेव के 550वें जन्मशती अवसर पर जेआईएस विश्वविद्यालय का आयोजन—–जो बोले, सो निहाल सतश्री अकाल के जयघोष से गूंजा विवेकानंद हॉल

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‘बांग्ला में अनुवादित गुरु ग्रंथ साहिब की पुस्तक दुनिया के बांग्लावासियों के लिए उपहार’

कोलकाता. बांग्ला भाषा में अनुवादित (5 खंडों में) सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की पुस्तक न केवल बंगाल और बांग्लादेश, बल्कि संपूर्ण विश्व में निवासरत बांग्लावासियों के लिए एक उपहार है। आज जिस तेजी से मानवीय मूल्यों में लगातार गिरावट आ रही है उसे बचाने में यह पुस्तक अहम भूमिका निभाएगी। गुरु नानकदेव के 550वें जन्मशती अवसर पर शुक्रवार को जेआईएस विश्वविद्यालय की ओर से गोलपार्क स्थित रामकृष्ण मिशन के विवेकानंद हॉल में बांग्ला भाषा में अनुवादित (5 खंडों में) गुरु ग्रंथ साहिब के पुस्तक विमोचन के दौरान मुख्य अतिथि भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने यह उद्गार व्यक्त किए। जेआईएस विश्वविद्यालय के संस्थापक सरदार जोध सिंह की स्मृति में समर्पित इस कार्यक्रम में भाग लेने देश-विदेश से आए काफी संख्या में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने इस पुस्तक से जुड़ी विभिन्न आस्थाओं के बारे में अपनी भावनाओं को प्रकट करते हुए इसके लिए जेआईएस ग्रुप के पदाधिकारियों और पुस्तक के प्रकाशकों की सराहना की। कार्यक्रम के दौरान …..जो बोले, सो निहाल सतश्री अकाल के जयघोष से विवेकानंद हॉल गूंज उठा। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित दीपक मिश्रा, उनकी मंडली लक्ष्मण चेलाराम, पुनीत कौर और 14 वर्षीया गायिका प्रेशा कौर की कीर्तन प्रस्तुति से हुई। इस पवित्र ग्रंथ के बांग्ला अनुवादित संस्करणों की 100 प्रतियां कोलकाता के कई प्राचीन पुस्तकालयों में निशुल्क वितरित किए जाएंगे। 1430 पेज के इस धर्मग्रंथ में 6 गुरुओं, 4 संतों, विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के 15 भग्नावशेषों और 11 वेदों की वाणी समाहित है। स्पीकर रुशवीर सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब के इतिहास और बंगाल कनेक्शन का जिक्र करते हुए कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक गुलदस्ता है, क्योंकि इसमें भिन्न-भिन्न प्रदेशों, भिन्न-भिन्न जाति-मजहब के 36 महापुरुषों की वाणी समाहित है। सरदार त्रिलोचन सिंह (सदस्य, राज्यसभा) ने अपने संबोधन में इस मौके को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब सिखों के लिए एक लीविंग गॉड है। उन्होंने कहा कि जब पूरा हिन्दुस्तान गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था, लोगों का जमीर मर चुका था तब पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब ने भारत में एकता की अलख जगाई और मानवता, प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश दिया।
—–बंगाल से है कनेक्शन
उन्होंने बंगाल से गुरु ग्रंथ साहिब के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि टैगोर ने अमृतसर में 14 दिन गुजारे थे और वीर बंदा बहादुर पर एक कविता की रचना भी की थी। बंगाल के लोग विशेष रूप से सिख शिक्षा (गुरबानी) के साथ शुरू से ही रहे हैं। इस पुस्तक में वीरभूम के भगत जयदेव के 2 पवित्र धाम को भी जगह दी गई हैं। उन्होंने कहा कि चैतन्य महाप्रभु और गुरु नानक समकालीन के साथ-साथ दोनों क्रांतिकारी भक्ति आंदोलन के अहम हिस्सा भी थे। कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर, राजा राममोहन राय और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक बातें भी इसमें समाहित की गई है, जिससे इस पवित्र ग्रंथ को पढक़र लोगों को इससे और प्रेरणा मिलेगी। जेआइएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सरदार तरनजीत सिंह व प्रबंध निदेशक जेआइएस समूह ने इस मौके पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जेआईएस ग्रुप के संस्थापक शिक्षण संस्थान के चेयरमैन सरदार जोध सिंह को लेकर एक बायोग्राफी के रूप में ‘असदार सरदार’ नामक किताब का जल्द विमोचन भी होगा। विमोचन पर सरदार जोध सिंह का पूरा परिवार मौजूद था। हिमांचल प्रदेश के सोलन स्थित दादा लक्ष्मण चेलाराम पब्लिकेशन की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया गया है। इस पुस्तक के अनुवाद प्रक्रिया को 4 साल की अवधि में 2 अनुवादकों चयन घोष और झूमा घोष ने पूरा किया, जिसके बाद दादा चेलाराम प्रकाशन ने इसका प्रकाशन किया। इसके मालिक लक्ष्मण चेलाराम एक ज्ञानी सिंधी थे। अपने गुरु पिता दादा चेलाराम से गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षा उन्हें विरासत में मिली थी। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के मंत्री तापस रॉय, स्वामी सुप्रीयनंद (महासचिव और मुख्य प्रशासक, रामकृष्ण मिशन, गोलपार्क), संन्यासी भगति सुंदर (अध्यक्ष गौड़ीय मठ, बागबाजार), सरदार त्रिलोचन सिंह (सदस्य, राज्यसभा), सरदार गुरबक्स सिंह (अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व ओलंपियन), विद्युत मजूमदार (जेआईएस विश्वविद्यालय के महाप्रबंधक), जेआईएस विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर बीसी मल, टीएस मदान (संस्थापक मेंटर, आध्यात्मिक अध्ययन कार्यक्रम जेआईएस विश्वविद्यालय सिख कल्चरल सेंटर कोलकाता आदि मौजूद थे। इस कार्यक्रम के आयोजन में शिकागो से सरदार स्वर्ण सिंह की संकलित फोटो प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही, जिसमें ब्रिटिश म्यूजियम से विश्वयुद्ध (प्रथम और द्वितीय) के शहीद सिख सैनिकों की तस्वीरों को संकलित किया गया था। साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब और सारगढ़ी के प्रसिद्ध युद्ध की भी झलक दिखाई दी।
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