उन्होंने बंगाल से गुरु ग्रंथ साहिब के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि टैगोर ने अमृतसर में 14 दिन गुजारे थे और वीर बंदा बहादुर पर एक कविता की रचना भी की थी। बंगाल के लोग विशेष रूप से सिख शिक्षा (गुरबानी) के साथ शुरू से ही रहे हैं। इस पुस्तक में वीरभूम के भगत जयदेव के 2 पवित्र धाम को भी जगह दी गई हैं। उन्होंने कहा कि चैतन्य महाप्रभु और गुरु नानक समकालीन के साथ-साथ दोनों क्रांतिकारी भक्ति आंदोलन के अहम हिस्सा भी थे। कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर, राजा राममोहन राय और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक बातें भी इसमें समाहित की गई है, जिससे इस पवित्र ग्रंथ को पढक़र लोगों को इससे और प्रेरणा मिलेगी। जेआइएस यूनिवर्सिटी के चांसलर सरदार तरनजीत सिंह व प्रबंध निदेशक जेआइएस समूह ने इस मौके पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जेआईएस ग्रुप के संस्थापक शिक्षण संस्थान के चेयरमैन सरदार जोध सिंह को लेकर एक बायोग्राफी के रूप में ‘असदार सरदार’ नामक किताब का जल्द विमोचन भी होगा। विमोचन पर सरदार जोध सिंह का पूरा परिवार मौजूद था। हिमांचल प्रदेश के सोलन स्थित दादा लक्ष्मण चेलाराम पब्लिकेशन की ओर से गुरु ग्रंथ साहिब का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया गया है। इस पुस्तक के अनुवाद प्रक्रिया को 4 साल की अवधि में 2 अनुवादकों चयन घोष और झूमा घोष ने पूरा किया, जिसके बाद दादा चेलाराम प्रकाशन ने इसका प्रकाशन किया। इसके मालिक लक्ष्मण चेलाराम एक ज्ञानी सिंधी थे। अपने गुरु पिता दादा चेलाराम से गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षा उन्हें विरासत में मिली थी। इस मौके पर पश्चिम बंगाल के मंत्री तापस रॉय, स्वामी सुप्रीयनंद (महासचिव और मुख्य प्रशासक, रामकृष्ण मिशन, गोलपार्क), संन्यासी भगति सुंदर (अध्यक्ष गौड़ीय मठ, बागबाजार), सरदार त्रिलोचन सिंह (सदस्य, राज्यसभा), सरदार गुरबक्स सिंह (अर्जुन अवार्ड से सम्मानित पूर्व ओलंपियन), विद्युत मजूमदार (जेआईएस विश्वविद्यालय के महाप्रबंधक), जेआईएस विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर बीसी मल, टीएस मदान (संस्थापक मेंटर, आध्यात्मिक अध्ययन कार्यक्रम जेआईएस विश्वविद्यालय सिख कल्चरल सेंटर कोलकाता आदि मौजूद थे। इस कार्यक्रम के आयोजन में शिकागो से सरदार स्वर्ण सिंह की संकलित फोटो प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही, जिसमें ब्रिटिश म्यूजियम से विश्वयुद्ध (प्रथम और द्वितीय) के शहीद सिख सैनिकों की तस्वीरों को संकलित किया गया था। साथ ही गुरु ग्रंथ साहिब और सारगढ़ी के प्रसिद्ध युद्ध की भी झलक दिखाई दी।