बजरंगी भाईजान (सलमान खान) और अरिफुल की कहानी में अंतर सिर्फ इतना है कि बजरंगी माता-पिता से बिछड़ी मुस्लिम धर्म की पाकिस्तान की मूक-बधिर बच्ची को उसके माता-पिता से मिलवाने के लिए घुसपैठ कर पाकिस्तान गया था और अरिफुल हिन्दू धर्म के मूक-बधिर युवक को उसके माता-पिता से मिलवाने के लिए वीजा लेकर बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आया है।
14 साल पहले मिला था मूक-बधिर बच्चा अरिफुल को 14 साल पहले मूक-बधिर बच्चा मिला था। तब वह काफी छोटा था। आज युवा हो गया है। अरिफुल का गांव भारत-बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है। अरिफुल का कहना है कि वर्ष 2006 में वह एक दिन जब अपने खेत में काम कर रहा था तो उसे सीमा पर लगे बाड़ के उस पार (भारतीय क्षेत्र) में खेत में शाम को अकेले एक छोटा बच्चा बैठे दिखाई दिया। बच्चे की हालत देख उसे दया आ गई। वह बाड़ तोडक़र बच्चे के पास पहुंचा तो देखा कि वह रो रहा है। उसने उसके माता-पिता के बारे में पूछा लेकिन वह जवाब नहीं दे पाया। फिर उसे पता चला कि वह मूक-बधिर है। वह बच्चे को लेकर अपने घर आ गया।
——
अरिफुल ने उसका नाम मंसूर रखा। उसका पालन पोषण बेटे की तरह किया है। वह उनके परिवार से घुल-मिल गया। परिवार को कोई भी सदस्य उसे गैर नहीं मानता। वह भी सबको अपना मानता । वह जब उससे बिछड़ेगा तो उसे काफी तकलीफ होगी, लेकिन इस बात की ज्यादा खुशी होगी कि मंसूर को उसके असली माता-पिता मिल जाएंगे।
मुश्किल काम है पर हौसले हैं बुलंद अरिफुल को अभी तक उक्त युवक के माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं मिला है। वह मानता है कि काम मुश्किल है। हालांकि उसके हौसले बुलंद है। बांग्लादेशी किसान का कहना है कि वह नेक काम पर निकला है। ईश्रर उसकी मदद करेंगे।