कोलकाता ुनेत्र विशेषज्ञ डॉ. भास्करदेव मुखोपाध्याय ने लोगों को ग्लूकोमा (काला मोतिया) से सावधान रहने की सलाह देते हुए कहा कि इससे आखों की रोशनी चली जा सकती है। उन्होंने मधुमेह के मरीजों को साल में एक बार रेटिना की जांच कराने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि ग्लूकोमा आंखों में होने वाली एक लाइलाज बीमारी है। इससे अंधापन बढ़ता जाता है। इसके कारण एक बार आंखों की रोशनी चली गई, तो दोबारा वापस लाना संभव नहीं है। इससे आंखों को बचाने का एक मात्र उपाय सावधानी बरतना है। इसके लिए समय-समय पर आंखों की जांच करानी चाहिए। समय पर इस बीमारी के होने का पता चलने पर आंखों की रोशनी को जाने से रोका जा सकता है। लेकिन पूरी तरह से इसके चपेट में आने के बाद लोगों को अंधापन से बचाना संभव नहीं है। वे प्रेस क्लब, कोलकाता और सेवीअर हॉलिस्टिक इंटरनेशनल ट्रस्ट के विवेकानंद नेत्रालय मल्टीस्पेशलिटी की ओर से आयोजित नेत्र परीक्षण शिविर के बाद संवाददाता को संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर विवेकानंद नेत्रालय मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम भी उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि आंखों की रोशनी जाने से बचने के लिए मधुमेह के मरीजों और वंशगत बीमारी के मरीजों को सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका ट्रस्ट लोगों को नि:शुल्क इलाज और ऑपरेशन करता है। इसके अलावा अस्पताल चलाने के लिए पैसे लेकर भी लोगों का इलाज करता है। अब तक उनका अस्पताल 85 हजार लोगों की आंखों का सफलतापूवर्क ऑपरेशन कर चुका है।
इस मौके पर विवेकानंद नेत्रालय मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम भी उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि आंखों की रोशनी जाने से बचने के लिए मधुमेह के मरीजों और वंशगत बीमारी के मरीजों को सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका ट्रस्ट लोगों को नि:शुल्क इलाज और ऑपरेशन करता है। इसके अलावा अस्पताल चलाने के लिए पैसे लेकर भी लोगों का इलाज करता है। अब तक उनका अस्पताल 85 हजार लोगों की आंखों का सफलतापूवर्क ऑपरेशन कर चुका है।