नेताजी जयंती पर दार्जिलिंग के माल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। धर्मनिरपेक्ष तथा एकजुट भारत उनका सपना था। इसके लिए नेताजी लड़े भी थे।
बनर्जी ने नेताजी की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि बोस ने अपने संघर्ष के जरिए यह संदेश भेजा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। ममता ने कहा वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भारत की एकजुटता के लिए लड़ना ही नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
भाजपा का नाम लिए बगैर ममता ने कहा कि नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। वह धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए लड़े। लेकिन अब धर्मनिरपेक्षता का पालन करने वालों को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि नेताजी के लापता होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए सरकार गंभीर नहीं है। बनर्जी ने कहा कि उन्होंने (केंद्र) केवल कुछ ही गोपनीय फाइलों को ही सार्वजनिक किया है। वास्तविकता में क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। यह अत्यंत शर्म की बात है कि देश आजाद होने के 70 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम यह नहीं जान पाए हैं कि आखिरकार नेताजी के साथ हुआ क्या था।