——————————————————– ऑनलाइन नामांकन पर कोर्ट का हस्तक्षेप से इनकार – माकपा की याचिका खारिज
कोलकाता कलकत्ता हाईकोर्ट ने माकपा की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए ऑनलाइन नामांकनपत्र दाखिल करने के मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत की अवमानना से संबंधित याचिका को अदालत ने मंजूर किया है। उस पर जून महीने में सुनवाई होगी। माकपा की ओर से हाईकोर्ट में दो याचिका दायर की गई थी। पहली याचिका ऑनलाइन नामांकन तथा दूसरी याचिका हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना से संबंधित थी। दूसरी याचिका में माकपा की ओर से कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग और पुलिस ने गत सोमवार को नामांकन के दिन उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए। अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया।
ऑनलाइन आवेदन से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान माकपा नेता एवं वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि ‘पंचायत कानून-2003’ में ऑनलाइन नामांकन का उल्लेख है और हाईकोर्ट ने व्हाट्स एप पर भेजे गए नौ नामांकन पत्र को मंजूर करने का आदेश दिया है। ऐसे में ई-मेल किए गए 138 आवेदन मंजूर करने में क्या समस्या है। विकास रंजन भट्टाचार्य की दलील का विरोध करते हुए कहा कि ‘पंचायत कानून-2003’ में ऑनलाइन आवेदन का कोई जिक्र नहीं है। राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य ने कल्याण बंद्योपाध्याय की दलील पर सहमति जताते हुए कहा कि व्हाट्स एप पर नामांकन भेजने वाले उम्मीदवार कार्यालय गए थे, वहां से उन्होंने व्हाट्स एप किया था।
कोलकाता कलकत्ता हाईकोर्ट ने माकपा की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए ऑनलाइन नामांकनपत्र दाखिल करने के मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। हालांकि अदालत की अवमानना से संबंधित याचिका को अदालत ने मंजूर किया है। उस पर जून महीने में सुनवाई होगी। माकपा की ओर से हाईकोर्ट में दो याचिका दायर की गई थी। पहली याचिका ऑनलाइन नामांकन तथा दूसरी याचिका हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना से संबंधित थी। दूसरी याचिका में माकपा की ओर से कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग और पुलिस ने गत सोमवार को नामांकन के दिन उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए। अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया।
ऑनलाइन आवेदन से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान माकपा नेता एवं वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि ‘पंचायत कानून-2003’ में ऑनलाइन नामांकन का उल्लेख है और हाईकोर्ट ने व्हाट्स एप पर भेजे गए नौ नामांकन पत्र को मंजूर करने का आदेश दिया है। ऐसे में ई-मेल किए गए 138 आवेदन मंजूर करने में क्या समस्या है। विकास रंजन भट्टाचार्य की दलील का विरोध करते हुए कहा कि ‘पंचायत कानून-2003’ में ऑनलाइन आवेदन का कोई जिक्र नहीं है। राज्य चुनाव आयोग के सचिव नीलांजन शांडिल्य ने कल्याण बंद्योपाध्याय की दलील पर सहमति जताते हुए कहा कि व्हाट्स एप पर नामांकन भेजने वाले उम्मीदवार कार्यालय गए थे, वहां से उन्होंने व्हाट्स एप किया था।
खंडपीठ में जाएगी पार्टी माकपा इस संबंध में खंडपीठ में जाने पर विचार कर रही है। पार्टी नेता रॉबिन देव ने कहा कि हम खंडपीठ में जाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि पार्टी एकल पीठ के फैसले को चुनौती देगी या नहीं? इस बारे में अभी तक स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है।