राज्य में शाह का मिशन बंगाल 22 सीटें प्लस लगभग कामयाब हुआ तो ममता दीदी का जादू घटता नजर आया। इस बार शुरू से ही मोदी-शाह की जोड़ी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता को टक्कर देने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी खुलकर मोदी-शाह को चुनौती दी थी। मोदी और शाह ने यूपी के बाद बंगाल में सबसे ज्यादा रैलियों को संबोधित किया। मोदी और दीदी के बीच इस चुनाव में जमकर तकरार देखने को मिली। मोदी ने मुख्यमंत्री को स्पीड-ब्रेकर दीदी के रूप में करार दिया, ममता बनर्जी ने उन्हें एक्सपायरी बाबू कहकर प्रतिशोध लिया। भाजपा ने ममता की तुष्टिकरण नीति को मुद्दा बनाया। लेफ्ट और कांग्रेस की जगह खुद को विपक्ष के तौर पर स्थापित किया। राज्य की जनता को भी भाजपा के रूप में विकल्प पार्टी मिली। यह वजह है राज्य में भाजपा को बड़ी काययाबी मिली। यदि भाजपा यही रफ्तार बरकरार रखती है तो पार्टी 2021 के विधानसभा चुनाव में भी उलटफेर कर सकती है।