कोलकाता

बंगाल: दीदी का अब बचना मुश्किल

भाजपा ने तृणमूल के दुर्ग में लगा दी सेंध, तृणमूल कांग्रेस ने 22 तथा भाजपा ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की, कांग्रेस को महज 2 सीटें, लेफ्ट का सूपड़ा साफ

कोलकाताMay 24, 2019 / 06:21 pm

Rabindra Rai

बंगाल: दीदी का अब बचना मुश्किल

कोलकाता. लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने श्रीरामपुर की एक रैली में कहा था कि दीदी 23 मई को नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल में कमल खिलेगा और देखना आपके एमएलए आपका साथ छोड़ देंगे। टीएमसी के 40 विधायक मेरे संपर्क में हैं और दीदी आपका बचना मुश्किल है। मोदी का यह कथन सही साबित होता दिख रहा है। चुनाव नतीजे के दूसरे ही दिन एक पार्टी विधायक का साथ छूट गया। पार्टी विधायक शुभ्रांसु राय को तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से ६ साल के लिए निकाल दिया गया। पार्टी नेता पार्थ चटर्जी ने बताया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उनको निकाला गया है।
वैसे पश्चिम बंगाल में मोदी-दीदी की लड़ाई में आखिरकार मोदी ही भारी साबित हुए हैं। भाजपा ने राज्य में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। पार्टी ने दीदी के दुर्ग में सेंध लगाते हुए पहली बार अपनी सीटों की संख्या दो से दहाई अंकों में पहुंचा दी है। नतीजे वास्तव में चौंकाने वाले रहे हैं। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 22 सीटों तो भाजपा ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली है, जबकि वामपंथी दल (लेफ्ट) का राज्य में सूपड़ा साफ हो गया है। पार्टी की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। मोदी की सुनामी ऐसी चली कि ममता बनर्जी के कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी जैसे दिग्गज हार गए।
राज्य में शाह का मिशन बंगाल 22 सीटें प्लस लगभग कामयाब हुआ तो ममता दीदी का जादू घटता नजर आया। इस बार शुरू से ही मोदी-शाह की जोड़ी ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता को टक्कर देने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी खुलकर मोदी-शाह को चुनौती दी थी। मोदी और शाह ने यूपी के बाद बंगाल में सबसे ज्यादा रैलियों को संबोधित किया। मोदी और दीदी के बीच इस चुनाव में जमकर तकरार देखने को मिली। मोदी ने मुख्यमंत्री को स्पीड-ब्रेकर दीदी के रूप में करार दिया, ममता बनर्जी ने उन्हें एक्सपायरी बाबू कहकर प्रतिशोध लिया। भाजपा ने ममता की तुष्टिकरण नीति को मुद्दा बनाया। लेफ्ट और कांग्रेस की जगह खुद को विपक्ष के तौर पर स्थापित किया। राज्य की जनता को भी भाजपा के रूप में विकल्प पार्टी मिली। यह वजह है राज्य में भाजपा को बड़ी काययाबी मिली। यदि भाजपा यही रफ्तार बरकरार रखती है तो पार्टी 2021 के विधानसभा चुनाव में भी उलटफेर कर सकती है।

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