नवान्न के ऑडिटोरियम में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को संसाधनों का सटीक इस्तेमाल करने और सभी सरकारी कार्यालयों और संस्थानों का तत्काल प्रभाव से खर्च कम करने का निर्देश दिया। सभी विभागों के मंत्रियों, सचिवों, आर्थिक सलाहकारों और सरकारी संस्थानों के प्रमुखों से मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी पैसे आम लोगों के पैसे हैं। लोगों के पैसे से विलासिता करने की किसी को भी इजाजत नहीं है और न ही सरकार में विलासिता करने वालों के लिए कोई जगह है। हर हाल में सरकारी फिजूलखर्ची रोकना है। वे खर्च कटौती अभियान शुरू कर रही हैं।
बचे पैसे का खर्च जनकल्याण योजनाओं पर
ममता ने कहा कि पैसे की बर्बादी और बेवजह खर्च कम कर सिर्फ उतने ही पैसे खर्च करने होंगे जितना आवश्यक है। इससे जो पैसे बचेंगे उन्हें जनकल्याण योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी खर्च का विस्तृत विश्लेषण अनिवार्य है। कई बार गलत या त्रुटिपूर्ण टेंडर के कारण जरूरत से अधिक पैसे खर्च होता है। इस पर अभी से काबू पाना होगा।
अधिकारियों को प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि अपव्यय रोकने के लिए सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षण की जरूरत है। सरकार की ओर से अधिकारियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य के मुख्य सचिव मलय दे के नेतृत्व में बनी कमेटी सरकारी कार्यालयों में फिजूलखर्ची बंद करने के लिए किए जा रहे काम पर निगरानी करेगी। उन्होंने साफ कर दिया कि राज्य में चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं पर होने वाले पैसे में कोई कटौती नहीं की जाएगी। इससे पहले खर्च में कटौती करने के लिए मुख्य सचिव ने गत दो जुलाई को सरकारी अधिकारियों के लिए 15 सूत्री दिशानिर्देश जारी किया था, जिनमें सरकारी कार्यक्रमों में नाना प्रकार के व्यंजनों को कम करना था।
मुख्यमंत्री के निर्देश * निजी होटलों के बजाय सरकारी हॉल या स्टेडियम में बैठक * ऑफिस रूम या गेस्ट हाउस को सजाने पर खर्च में कटौती * सरकारी कार्यक्रमों में उपहार तथा खाने पर खर्च में कमी
* नई गाड़ी खरीदने पर नियंत्रण और गाड़ी का इस्तेमाल कम हो * विमान की इकोनॉमी क्लास में जाएं अधिकारी