scriptकोरोना से पहले मलेरिया और डेंगू का दंश झेल चुका बंगाल | Bengal has suffered from malaria and dengue before Corona | Patrika News

कोरोना से पहले मलेरिया और डेंगू का दंश झेल चुका बंगाल

locationकोलकाताPublished: May 23, 2020 10:32:56 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

वर्ष 2017 में करीब 37 हजार से अधिक लोग हुए थे पीडि़त

कोरोना से पहले मलेरिया और डेंगू का दंश झेल चुका बंगाल

कोरोना से पहले मलेरिया और डेंगू का दंश झेल चुका बंगाल

प्रभात गुप्ता
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में संक्रमण के फैलाव से होने वाली बीमारियों का अपना इतिहास रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना के बढ़ते संक्रमण से पूरा देश पीडि़त है। देश के पूर्वी क्षेत्र का प्रमुख राज्य पश्चिम बंगाल भी इससे अछूता नहीं है। देश में जहां कोरोना से अब तक 1,18,447 लोग पीडि़त हैं वहीं 3583 लोगों की मौत हुई है। पश्चिम बंगाल में इस महामारी ने अब तक 193 लोगों को हमेशा-हमेशा के लिए सुला दिया है। राज्य सरकार महामारी का मुकाबला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग को संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों का सामना करने का अनुभव रहा है। कोरोना के साथ मजबूती से मुकाबला करने वाला राज्य पश्चिम बंगाल कभी मलेरिया और डेंगू जैसे संक्रामक रोगों का दंश झेल चुका है। इन रोगों का सामना करने वाले राज्य के चिकित्सक कोरोना से घबरा नहीं रहे। उनका कहना है कि हर रोग का अपना इतिहास होता है। कभी मलेरिया को लेकर तो कभी डेंगू को लेकर बंगाल में महामारी की स्थिति उत्पन्न हुई थी। वर्तमान में मलेरिया और डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग को जरा भी हैरानी नहीं है। ठीक उसी तरह कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर भी वह बहुत ज्यादा चिंतित नहीं। बंगाल की चिकित्सक मंडली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का हवाला दे रहे हैं कि कोरोना का प्रभाव अचानक समाप्त होने वाला नहीं है। यह मानव के साथ-साथ कुछ दिनों तक चलेगा। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 1990 में मलेरिया का प्रकोप व्यापक अस्तर पर बढ़ा था, तब राज्यभर में कुल 27,531 लोग इस महामारी से पीडि़त हुए थे। 1991 में 40,452 लोग पीडि़त हुए। इनमें से 13 लोगों की मृत्यु हुई थी। साल दर साल राज्य में मलेरिया का प्रकोप बढ़ता ही रहा। 1999 में राज्य में सर्वाधिक 2, 27,480 लोग इसकी चपेट में आए थे और कुल 144 लोग मारे गए थे। मलेरिया का प्रकोप यूं ही बढ़ता रहा। 2003 में मलेरिया का प्रकोप काफी बढ़ गया था। राज्य में 2, 33,802 लोग इसकी गिरफ्त में आ गए थे। इनमें से 214 लोग मारे गए थे। पश्चिम बंगाल में 2003 में ही मलेरिया से इतने अधिक संख्या में लोग मरे थे। धीरे-धीरे इसका प्रकोप कम होता गया। स्वास्थ विभाग के अनुसार वर्ष 2015 में 24,077, वर्ष 2016 में 35,236, वर्ष 2017 में 31,175, वर्ष 2018 में 26,382 और 2019 में 18,528 लोग मलेरिया की चपेट में आए थे। इस दौरान मलेरिया से मरने वालों की संख्या क्रमश: 34, 59, 28, 08 और 03 रही। पश्चिम बंगाल में बरसात के दिनों में मच्छर जनित रोग डेंगू भी समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाता रहा। राज्य में हर साल जुलाई के अंत से डेंगू दस्तक देने लगता है। फरवरी तक इसका प्रकोप रहता है। वर्तमान में मलेरिया के मरीजों की संख्या नगण्य है। चिकित्सा के क्षेत्र में आए बदलाव के कारण अब मलेरिया से मरने वालों की संख्या इकाई में आ गई है। स्वास्थ विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 2005 में डेंगू से 6375 लोग बीमार पड़े थे। इनमें से 34 लोग मारे गए थे। 10 साल बाद अर्थात् 2015 में डेंगू ने व्यापक स्तर पर लोगों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू किया। राज्य में कुल 8516 लोग डेंगू की चपेट में आ गए थे। इनमें से 14 की मृत्यु हो गई थी। 2016 में डेंगू ने विकराल रूप धारण करते हुए कुल 26,741 लोगों को अपने गिरफ्त में ले लिया और 50 लोगों की मौत हुई थी। पश्चिम बंगाल में डेंगू से पीडि़तों की संख्या सबसे अधिक 2017 में रही। स्वास्थ विभाग के अनुसार कुल 37,746 लोग डेंगू से बीमार पड़े थे और 46 लोगों की मौत हुई थी। 2018 में 23,301 लोग डेंगू से पीडि़त हुए थे और 44 लोग मारे गए थे। गत वर्ष नवम्बर तक कुल 47,390 लोग डेंगू के शिकार हुए थे। तब 27 लोगों की जान गई थी।
इनका कहना है

मच्छर जनित बीमारी डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐहतियात के कदम उठाए जा रहे हैं। डेंगू के मच्छरों को पनपने से रोकना प्राथमिकता होती है। कोरोना पॉजिटिव केस का संक्रमण हजार वर्गफुट के इलाके में फैलता है जबकि डेंगू का मच्छर 50 मीटर से अधिक दूर नहीं जा सकता। डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम तैयार है। प्रारम्भिक तैयारियां भी शुरू हो गई है।
-प्रो. डॉ. सुकुमार मुखोपाध्याय, सदस्य, स्वास्थ्य सेवा निदेशालय
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो