बंगाल हॉकी का स्वर्णिम गौरव मेजर ध्यानचंद के पुत्र व 1975 ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली हॉकी टीम के लिए गोल दागने वाले अशोक कुमार ने समारोह को वर्चुअल संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश में हॉकी का जन्म बंगाल में हुआ। बंगाल से ही हॉकी देश भर में लोकप्रिय हुई। उनके पिता कहते थे उनके जीवन का सबसे रोमांचक मैच उन्होंने कलकत्ता के बैटन कप में खेला था। अब एक बार फिर बंगाल में हॉकी के विकास पर ध्यान देना होगा। उसका स्वर्णिम इतिहास लौटाना होगा।
घास का मैदान कैसे चले बंगाल महिला हॉकी टीम की सदस्य पूजा सावा से पत्रिका ने जब एस्ट्रोटर्फ की जरूरत पर सवाल किया तो वे मायूस हो गई । पूजा ने कहा कि हम घास के मैदान में प्रैक्टिस करते हैं। जब नेशनल खेलना होता है तो एस्ट्रो टर्फ में जाते है। दोनों मैदान में जमीन आसमान का अंतर है।
नई पीढ़ी से विश्वासघात रैफरी पंकज शर्मा कहते हैं राज्य में एस्ट्रोटर्फ का नहीं होना नई पीढ़ी के खिलाडिय़ों के साथ विश्वासघात है। राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी एस्ट्रोटर्फ के अभाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।
खिलाडी कैसे बने फ्रीडम हॉकी क्लब के कोच मो. साजिद कहते हैं नई प्रतिभाओं में जोश, जज्बा और जुनून तो है लेकिन आधारभूत संरचना नहीं हैं। ऐसे में खेल तो हो जाता है लेकिन खिलाड़ी तैयार होने में परेशानी होती है।
मुख्यमंत्री से उम्मीद है राष्ट्रीय हॉकी टीम के हिस्सा रहे सरदार गुलजार सिंह कहते हैं कि निराश होने से काम नहीं चलेगा। राज्य सरकार पर भरोसा करना होगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एस्ट्रोटर्फ की घोषणा की है। उम्मीद करते हैं कि जल्द ही काम शुरू होगा।
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मंत्री से बात कीजिए-स्वपन बनर्जी
बंगाल ओलम्पिक संघ के साथ-साथ हॉकी बंगाल के अध्यक्ष स्वपन बनर्जी ने कहा कि एस्ट्रो टर्फ के बारे मे राज्य के खेल मंत्री अरुप विश्वास ही कुछ कह सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि राज्य में एक साल के भीतर एस्ट्रोटर्फ बन जाएगा।