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बंगाल पंचायत चुनाव: तारीखें फिर से तय करे आयोग- हाईकोर्ट

locationकोलकाताPublished: Apr 20, 2018 09:02:10 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

राज्य चुनाव आयोग, राज्य सरकार और तृणमूल को बड़ा झटका, आयोग की अधिसूचना को किया खारिज, पर्चे भरने के लिए 1 दिन और समय देने को कहा

kolkata west bengal
कोलकाता. पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग, राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयुक्त को नामांकन पत्र दाखिल करने की समयसीमा एक दिन बढ़ाने और चुनाव की तारीखें फिर से घोषित करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही राज्य में 1, 3, व 5 मई को प्रस्तावित चुनाव की संभावना खत्म हो गई। एकल पीठ के न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार ने राज्य निर्वाचन आयोग की गत 10 अप्रेल की अधिसूचना को खारिज करते हुए पर्चे भरने के लिए एक दिन और समय देने, मतदान और मतगणना की नई तारीखें राज्य सरकार से सलाह लेकर फिर से घोषित करने का निर्देश दिया।
क्या किया था आयोग ने
गत 9 अप्रेल को निर्वाचन आयोग ने एक अधिसूचना जारी कर नामांकन-पत्र दायर करने की समय सीमा 10 अप्रेल शाम 3 बजे तक बढ़ा दी थी, मगर 10 अप्रेल की सुबह आयोग ने कथित तौर पर दबाव में उक्त अधिसूचना को र² कर दिया। आयोग के इसी आदेश को चुनौती दी गई थी जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
भार आयोग पर
एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि निर्वाचन आयोग नामांकन-पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख बढ़ाए और मतदान की नई तारीखें घोषित करे। अदालत ने तारीखें बढ़ाने या नई तारीखें घोषित करने का भार निर्वाचन आयोग पर ही सौंप दिया है। आयोग यह काम राज्य सरकार से सलाह के बाद करेगा।
नई तारीखों के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू
पंचायत कानून-2003 के अनुसार राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा निर्वाचन आयोग राज्य सरकार से सलाह के बाद ही करता है। इसलिए अदालत ने इस संदर्भ में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। न्यायाधीश तालुकदार ने अपने 35 पृष्ठों के आदेश में कहा है कि नामांकन-पत्र दाखिल करने की तारीख बढऩे और मतदान की नई तारीखें घोषित होने के बाद ही चुनाव प्रक्रिया आरंभ होगी। इसलिए पूर्व निर्धारित सूची के तहत अब मतदान नहीं होगा।
क्या है कानून
कानून के अनुसार नामांकन-पत्र दाखिल होने की अंतिम तारीख से 22 वें दिन ही मतदान कराया जा सकता है। इस दृष्टि से 1,3,5 मई को मतदान व 8 मई को मतगणना अब नहीं होगी। जो प्रत्याशी नामांकन-पत्र दाखिल कर चुके हैं उनपर इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें फिर से नामांकन दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी। जो प्रत्याशी नामांकन जमा नहीं कर पाए हैं और जमा करने को इच्छुक हैं उनके लिए समय बढ़ाने को कहा गया है।
विपक्ष का यह था आरोप
विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि सत्तारुढ़ दल की भारी हिंसा के कारण उनके प्रत्याशी नामांकन पत्र नहीं भर पाए हैं। इसलिए हाईकोर्ट ने इच्छुक प्रत्याशियों को चुनाव में शामिल कराने के लिए समय बढ़ाने का आदेश जारी किया है। एकल पीठ के इस आदेश से निर्वाचन आयोग, विशेषकर राज्य सरकार व तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, ये सभी चाहते थे कि पूर्व निर्धारित सूची के आधार पर ही मतदान हो।
तृणमूल की यह थी दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने बार बार दलील दी कि एक बार चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो जाने पर अदालत उसपर हस्तक्षेप नहीं कर सकती, परंतु शुक्रवार को अदालत ने साफ कर दिया कि यदि अदालत को लगता है कि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र के आसार कम नजर आते हैं या कोई व्यक्ति या मतदाता खुद को असुरक्षित महसूस करता है तो अदालत उसपर हस्तक्षेप कर सकती है।
सरकार चुनौती नहीं देगी
राज्य सरकार एकल पीठ के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती नहीं देगी। फैसले के बाद तृणमूल कांग्रेस सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया। सरकार संभवत: नहीं चाहती कि पंचायत चुनाव अदालतों में फंसी रहे। (विधि संवाददाता)
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