बंगाल: सामने आने लगे असंतुष्ट, बढऩे लगी पार्टी की मुश्किलें
पश्चिम बंगाल में अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। असंतुष्ट पार्टी नेताओं के सामने आने के साथ ही राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढऩे लगी है। गत शुक्रवार को पार्टी को दोहरे झटके लगे।

प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। असंतुष्ट पार्टी नेताओं के सामने आने के साथ ही राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढऩे लगी है। गत शुक्रवार को पार्टी को दोहरे झटके लगे। पार्टी के असंतुष्ट विधायक मिहिर गोस्वामी ने दिल्ली पहुंचकर भाजपा का दामन थाम लिया, जबकि बागी तेवर दिखा रहे तृणमूल के कद्दावर नेता तथा परिवन मंत्री शुभेन्दु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ममता बनर्जी के अहंकार और भ्रष्टाचार से शुभेंदु अधिकारी नाराज़ थे इसलिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है। अगर वे भाजपा में आते है तो हम उनका स्वागत करेंगे। उन्होंने संभावना जताई कि विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल के कई नेता नाराज होकर भाजपा में शामिल होंगे। अब शुभेन्दु अधिकारी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक संघ प्रमुख मोहन भागवत से उनकी दिल्ली में शनिवार को भेंट करने की सम्भावना है।
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पड़ सकता है व्यापक असर
शुभेन्दु काफी समय से सत्ता और पार्टी से दूरी बनाकर चल रहे हैं। उनकी रैलियों में न ही अब तृणमूल का जिक्र होता है और न ही उसका निशान। जब गृह मंत्री अमित शाह बंगाल में भाजपा को 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य दे चुके हैं तब शुभेंदु का तृणमूल से अलग होना ममता बनर्जी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे पार्टी न केवल जिले में बड़ा जनाधार खोएगी, बल्कि शुभेंदु जैसे बड़े कद के नेता के जाने की वजह से पूरे राज्य पर इसका व्यापक असर होगा। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुभेन्दु के समर्थकों ने कोलकाता से उत्तर बंगाल तक बैनर पोस्टर लगा दिए।
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ममता के बाद सबसे लोकप्रिय नेता
पहले कहा जा रहा था कि सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी का कद बढऩे से शुभेन्दु नाराज हैं लेकिन अब कहा जा रहा है कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की दखलअंदाजी उन्हें रास नहीं आ रही है। शुभेन्दु तृणमूल में ममता के बाद सबसे लोकप्रिय और कद्दावर नेता माने जाते हैं। जिस नंदीग्राम आंदोलन से ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता मिली थी, उस आंदोलन का आर्किटेक्ट शुभेन्दु को माना जाता है। ममता बनर्जी के साथ वे शुरुआती दौर से ही जुड़े हैं। दक्षिण बंगाल के इलाकों में इनका काफी प्रभाव माना जाता है। शुभेंदु का परिवार भी बंगाल की राजनीति में अच्छा खासा दखल रखता है। उनके भाई और पिता राजनीति में हैं और सांसद हैं।
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भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज
शुभेन्दु अधिकारी ममता मंत्रिमंडल में नंबर दो के मंत्री कहे जाते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा फैक्स के जरिए भेजा और उसे राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी ईमेल कर दिया। शुभेंदु अधिकारी ने अपनी जेड प्लस की सुरक्षा, पायलट कार और एस्कॉर्ट भी छोडऩे की जानकारी दी है। ममता बनर्जी को लिखी अपनी चि_ी में शुभेंदु अधिकारी ने लिखा है कि राज्य के लोगों की सेवा का मौका देने के लिए आपको धन्यवाद। पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे ममता के भतीजे अभिषेक का राजनीति में उदय होने लगा, शुभेन्दु का कद घटने लगा। अब उनके भाजपा से शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
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पार्टी का दरवाजा खुला: दिलीप घोष
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनकी पार्टी के द्वार शुभेन्दु और कई अन्य नेताओं के लिए खुले हुए हैं। उन्होंने शुभेन्दु के इस्तीफे को तृणमूल के अंत का ***** बताते हुए कहा कि पार्टी का अस्तित्व मिट जाएगा। उन्होंने कहा कि शुभेंदु अधिकारी का तृणमूल छोडऩा केवल एक झांकी है। सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेता इसके कामकाज के तरीके से नाराज हैं। हमने अपने द्वार खोल रखे हैं। कई महीने से विद्रोही रुख दिखा रहे शुभेन्दु को मनाने की कोशिशें जारी हैं। पार्टी प्रमुख ने हाल में एक रैली में खुद को राज्य के सभी जिलों का इकलौता पार्टी ऑब्जर्वर घोषित किया था। शुभेन्दु के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कई जिलों में ऑब्जर्वर की भी जिम्मेदारी संभाल रहे अधिकारी को ममता की यह घोषणा पसंद नहीं आई है और उन्होंने इस्तीफा देकर अपना मौन विरोध प्रकट किया है।
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