तृणमूल कांग्रेस की दलील तृणमूल कांग्रेस की ओर से मुकदमे की पैरवी करते हुए सांसद व वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने कहा कि चूंकि चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसलिए अदालत इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं कर सकती। उन्होंने दलील दी कि संविधान की धारा-226- ओ में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि एक बार चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो जाने पर कोई अदालत उसपर हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि जब हाईकोर्ट को यह अधिकार ही नहीं है तो उसे विपक्षी पार्टियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए।
क्या बोले जज न्यायाधीश तालुकदार ने कहा कि 9 अप्रेल तक किसी भी अदालत ने पंचायत चुनाव पर हस्तक्षेप नहीं किया था। 9 अप्रेल को निर्वाचन आयोग ने नामांकन पत्र दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी थी, जबकि 10 अप्रेल को अचानक उसने अपने आदेश को वापस ले लिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट में आया और अदालत ने हस्तक्षेप किया। न्यायाधीश तालुकदार ने कहा कि 11 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव का मामला कलकत्ता हाईकोर्ट को भेजते हुए इस मामले की त्वरित सुनवाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट उसी आदेश का पालन कर रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद अदालत उसपर हस्तक्षेप नहीं कर सकती तो सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कलकत्ता हाईकोर्ट में शिकायतें दर्ज कराने की बात क्यों कही?
इन्होंने की है याचिका दायर भाजपा ने निर्वाचन आयोग के 10 अप्रेल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेफ्ट और कांग्रेस ने भी याचिका दायर की थी। उनकी शिकायत थी कि हिंसा के कारण उनके उम्मीदवार पर्चा दाखिल नहीं कर सके। माकपा, कांग्रेस और पीडीएस की ओर से भी याचिकाएं दायर की गई है। इसलिए बुधवार को भी निपटारा हो सके इसकी संभावना भी कम नजर आती है। (विधि संवाददाता)