रेबा देश विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ बांग्लादेश से भारत आ गईं। बचपन से शरीर शौष्ठव की रुचि उन्हें उस समय कोलकाता के विख्यात अखाड़े तक ले गई। विष्णु चरण घोष के अखाड़े में उन्होंने शरीर शौष्ठव और योग की बारिकीयां सीखीं।
योग आसनों में निपुण हुई रेबा ने 50 के दशक में कई सर्कसों में काम किया। उनका सबसे खतरनाक खेल शरीर के ऊपर से हाथी व लोगों से भरी हुई कार गुजारना होता था। लोग यह कारनामा देखने के लिए सर्कस में भीड़ बनाकर जाते थे। मिली प्रसिद्धि के बीच रेबा ने कमला, इंटरनेशनल और जेमिनी सर्कस में ये करतब दिखाए। इसके साथ ही वे दुर्गापूजा के समय स्थानीय क्लबों में भी अपनी प्रस्तुति देती थीं।
भारतीय महिलाओं में शरीर शौष्ठव और योग की अलग जगाने वाले रेबा रक्षित को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए पद्मश्री से नवाजा गया। उनके कारनामे देखकर हैदराबाद के नवाब ने उन्हें देवी चौधरानी की उपाधि भी दी। 1950 के दशक की शुरुआत में उन्हें बॉडीबिल्डिंग के लिए मिस बंगाल का खिताब भी मिला।