‘तीर्थ जरूरी, पर तीर्थ में संग्रह नहीं’
कोलकाताPublished: Jan 08, 2019 12:35:46 pm
लेकटाउन में भागवत-कथा
‘तीर्थ जरूरी, पर तीर्थ में संग्रह नहीं’
कोलकाता. भागवत में जीवन का सार है। भागवत हर प्राणी को प्रेरणा देती है। तीर्थ जरूरी है, पर तीर्थ में संग्रह नहीं, ध्यान और दान करना चाहिए। ईस्ट कोलकाता नागरिक फाउण्डेशन की ओर से लेकटाऊन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राधेश्यामजी शास्त्री ने धुंधकारी प्रसंग में यह बात कही। उन्होंने कहा कि गोकर्ण महाज्ञानी और संत प्रवृति था, जबकि धुंधकारी दुष्ट। गोकर्ण ठाकुर का चरणामृत पीते थे, जबकि धुंधकारी मदिरा पान करने के साथ ही जुआ खेलता था। वह प्रेत योनि में जाकर एक बांस में निवास करने लगा। सूर्य के घर जब गोकर्ण ने भागवत कथा सुनाई तो हर दिन बांस की एक-एक गांठ खुलती गई। सात दिन में बांस की सातों गांठ खुल गई और धुंधकारी को मुक्ति मिली। उन्होंने कहा कि सबसे पहले नारायण ने ब्रह्मा को भागवत सुनाया। ब्रह्मा ने नारद को, नारद ने व्यास को, व्यास ने शुकदेव, शुकदेव ने परीक्षित को, परीक्षित ने सूत महाराज को और सूत ने ऋषियों को भागवत सुनाई। आज भी वही ऋषि, भागवताचार्य इस परंपरा का पालन करते हैं। कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढक़र है। कल्पवृक्ष मात्र 3 वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है।
मुक्ति और भक्ति नहीं। लेकिन श्रीमद् भागवत दिव्य कल्पतरु हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा ने वेद को 3 बार पढ़ा। श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप हंै। इसके एक-एक अक्षर में कृष्ण समाए हैं। उन्होंने कहा कि कथा सुनना दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढक़र है। भागवत के 6 प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार नारद का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। दुख में ही गोविन्द का दर्शन होता है। द्वितीय स्कन्ध की व्याख्या के दौरान उन्होंने कहा कि परिवार और समाज में आज महिला का अपमान हो रहा है, वही इस दौर के विनाश का कारण है। हर व्यक्ति को प्रात: प्रभु स्मरण के साथ माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए। पूर्वजों के संस्कार सबसे स्थाई होते हैं, क्योंकि माता-पिता निस्वार्थ भाव से बच्चों को संस्कार देते हैं। मुख्य यजमान महेश-इन्दु झाझडिय़ा (अग्रवाल) परिवार ने व्यासपीठ का पूजन किया। ओमप्रकाश भरतिया ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा चेयरमैन हरिकिशन राठी, उप चेयरमैन जगदीश प्रसाद जाजू, संतोष अग्रवाल, अध्यक्ष प्रीतम दफ्तरी सहित सक्रिय रहे। संचालन कथा संयोजक प्रकाश चण्डालिया ने किया।