Former President Pranab Mukherjee गुरुवार को देश के सर्वोच्च सम्मान Bharat Ratna से सम्मानित होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें एक कार्यक्रम के तहत उन्हें सम्मािनत करेंगे।
कोलकाता/नई दिल्ली.Former President
Pranab Mukherjee गुरुवार को देश के सर्वोच्च सम्मान
bharat ratna से सम्मानित होंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें एक कार्यक्रम के तहत उन्हें सम्मािनत करेंगे। इसे लेकर कोलकाता सहित मुखर्जी के गृह क्षेत्र बीरभूम जिले के कीर्णहार और उनका निर्वाचन क्षेत्र रहा मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर के लोगों में खुशी की लहर है। करीब पांच दशक से राजनीति रहे प्रणव दा कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ और इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। 83 वर्षीय मुखर्जी साल 2012-2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे। इससे पहले वह साल 2009-2012 तक यूपीए-2 सरकार में वित्त मंत्री के पद पर भी रह चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति को भारत रत्न मिलने की खुशी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, “प्रणब दा हमारे समय के एक उत्कृष्ट राजनेता हैं। उन्होंने दशकों तक देश की निस्वार्थ और अथक सेवा की है। जिसने देश के विकास पथ पर एक मजबूत छाप छोड़ी है। मैं यह जानकर खुश हूं कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है।”
मुखर्जी को सर्वोच्च सम्मान मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बधाई दी है, राहुल ने कहा है, “भारत रत्न मिलने पर प्रणब दा को बधाई। कांग्रेस पार्टी इस पर बहुत गर्व करती है कि सार्वजनिक सेवा और राष्ट्र-निर्माण में अपार योगदान को सम्मानित किया गया है।” इनके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और संघ विचारक नानाजी देशमुख और प्रख्यात संगीतकार भूपेन हजारिका को भी ये सम्मान मिलने जा रहा है। ये सम्मान तीनों शख्सियतों को इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि इन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है।
साधारण बंगाली परिवार के हैं मुखर्जी-
मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर, 1935 में पश्चिम बंगाल के बीरभूम मिजे के मिराटी में बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने राजनीति विज्ञान और इतिहास में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के अलावा कोलकाता विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री भी हासिल की है।
कोलकाता के अलीपुर में बनता है पुरस्कार-भारत रत्न के रूप में प्रदान किया जाने वाला पदक को पश्चिम बंगाल के अलीपुर में बनाया जाता है। यह पीपल के पत्ते के आकार का होता है. इसे तांबे से बनाया जाता है। इस पर प्लैटिनम से बना सूर्य का चित्र होता है, जिसके नीचे चांदी से भारत रत्न लिखा होता है। इसे सफेद धागे के साथ में विजेता के गले में पहनाने की परम्परा है।