परिवार के सदस्यों ने की सीबीआई जांच की मांह
कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राज्य में राजनीतिक हिंसा और हत्याएं बढ़ने लगी हैं। सोमवार सबुह भाजपा विधायक देवेंद्र नाथ रे का शव उनके गांव में रस्सी से लटकते हुए पाए जाने से इलाके में हड़कंप मच गया है और कोलकाता से लेकर दिल्ली तक की राजनीति गरमा गई। प्रदेश भाजपा ने इसे सोची समझी साजिश के तहत हत्या करार देते हुए रे को मार कर लटकाने का आरोप लगाया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे संदिग्ध, जघन्य हत्या और चौकाने वाली घटना करार दिया है तो राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इसे हत्या करार दिया है। उन्होंने इसे प्रितशोध की राजनीति बताया है।
उत्तर दिनाजपुर के हेमताबाद विधानसभा केंद्र से विधायक देवेंद्र नाथ रे की कथित हत्या का मामला इस दिन सुबह उस समय प्रकाश में आई जब उनके गांव तार में स्थानीय लोगों ने उन्हें घर के पास फंदे से लटका हुआ देखा। वह लूंगी और शर्ट पहने हुए थे। गांव वालों ने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी और पुलिस उनके शव को अपने कब्जे में ले ली।
दूसरी ओर स्थानीय भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने इसके विरोध में इलाके में प्रदर्शन किया और इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की। भाजपा ने दावा किया है कि देवेन्द्र नाथ रे के शरीर पर जख्मों के कई निशान पाया गया हैं। उनकी हत्या करने के बाद आत्महत्या का रूप देने के लिए उनके शव को फंदे से लटका दिया गया है और यह काम स्थानीय तृणमूल है और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
देवेन्द्र नाथ रे की मौत पर ट्वीट कर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने कड़े शब्दों में इसकी निंदा की। इसे ममता बनर्जी की सरकार को विफल करार देते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के हेमटाबाद से भाजपा विधायक देवेंद्र नाथ रे की संदिग्ध जघन्य हत्या बेहद चौंकाने वाली और घटिया है। यह ममता सरकार में गुंडा राज और कानून व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है। भविष्य में जनता इस तरह के सरकार को माफ नहीं करेंगे। भाजपा नेता मुकुल राय ने इसे पूर्वनियोजित हत्या बताते हुए कहा कि बंगाल में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है।
देवेंद्र नाथ रे 2016 में माकपा के टिकट पर अपने निकटवर्ती तृणमूल प्रत्याशी सविता छेत्री को 13000 से अधिक वोटों से हरा कर विधायक चुने गए थे। वर्ष 2019 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। भाजपा सूत्रों ने बताया कि 2021 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हेमताबाद से टिकट मिलना तय था। तृणमूल को पता था कि उनसे जीत नहीं सकेंगे इसलिए उन्हें मार कर टांग दिया गया है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से इस मामले में कोई सफाई नहीं दी गई है।