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ब्रह्मस्थान पूजा पंडाल ने बाजी मारी

locationकोलकाताPublished: Oct 20, 2018 07:23:46 pm

Submitted by:

Rabindra Rai

टीटागढ़ थाना इलाके में मिला पहला पुरस्कार

kolkata west bengal

ब्रह्मस्थान पूजा पंडाल ने बाजी मारी

टीटागढ़. उत्तर २४ परगना जिले के टीटागढ़ थाना इलाके में ब्रह्मस्थान दुर्गा पूजा पंडाल, संचालक किनीसन मजदूर क्लब ने बाजी मार ली है। थाना इलाके में इसे पहला पुरस्कार दिया गया है। टीटागढ़ थाना के प्रभारी शंकर चौधरी ने निर्णायक मंडली की सिफारिश पर पंडाल को सर्वश्रेष्ठ करार दिया। चौधरी ने पत्रिका को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह पंडाल पूरी तरह पर्यावरण हितैषी है। इस पूरे पंडाल को बनाने में किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस पंडाल ने थाना इलाके में एक मिसाल पेश की है। कृष्णनगर के धुबुलिया के इंडियन डेकोरेटर के सुशंात घोष ने इस पंडाल को मूर्त रूप दिया है। कमेटी के जयनाथ गोस्वामी तथा पूर्व पार्षद अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि जूट तथा धान की फसल से पूरे पंडाल को बौद्ध मंदिर का रूप दिया गया

अमर सुहाग का खेला सिंदूर
कोलकाता. देवी दुर्गा के विसर्जन के समय कोलकाता समेत पूरे राज्य में सिन्दूर खेला की धूम रही। महिलाओं ने पहले मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया, इसके बाद सभी महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। यह वर्षों पुरानी परम्परा है। इसे सिंदूर खेला की रस्म कहा जाता है। मान्यताएं हैं कि सिंदूर खेला करने से सुहागिनों के पतियों की आयु लम्बी होती है।

प्रतिमा विसर्जन से पहले उमंग में डूबी महिलाएं
कोलकाता. पश्चिम बंगाल में पांच दिवसीय दुर्गापूजा के अंतिम दिन विजयादशमी को प्रतिमा विसर्जन से पहले बंगाली समाज में सिंदूर खेल का काफी महत्व है। राज्य की नारी व शिशु विकास विभाग की मंत्री डॉ. शशि पांजा शुक्रवार को उत्तर कोलकाता के कुम्हारटोली सार्वजनीन पूजा मंडप में सिंदुर खेल में शामिल हुईं। आम महिलाओं की भांति वे भी पारम्परिक वेशभूषा में सजी दिखीं। समाज के हर वर्ग की महिलाओं के साथ वे भी मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित की। उत्साह व उमंग में डूबी महिलाएं ढाक की ताल पर थिरकती नजर आई। इस क्रम में महिलाओं ने उन्हें अपने गोद में उठा लिया। समस्त पूजा मंडपों के अलावा विभिन्न राजबाड़ी में देवी को विदा करने के उद्देश्य से उपस्थित हुई महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सदा सुहागिन रहने की कामना की। शाों के तहत ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा अपने बच्चों कार्तिकेय, गणेश, सरस्वती और लक्ष्मी को साथ लेकर शरद नवरात्र पर पृथ्वी पर अपने मायके आती हैं और 10वें दिन ससुराल विदा हो जाती हैं। इसे यादगार बनाने के लिए ही महिलाएं सिंदूर खेल का रस्म निभाती हैं।

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