तीन साल पहले ढहा था एक हिस्सा
तीन साल पहले भी इस मकान का एक हिस्सा ढहा था। तब से इसे नगर निगम ने खतरनाक घोषित कर दिया है। जिस कारण इस मकान में कोई फिलहाल नहीं रहता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ाबाजार में बाबूलाल लेन में लोगों की काफी भीड़ होती है। इसमें कोई शक नहीं कि अगर हादसा सुबह के बजाय दिन में होता तो जान-माल का काफी नुकसान होता। स्थानीय लोगों ने नगर निगम प्रशासन से सवाल किया है कि खतरनाक मकान घोषित करने के बाद भी इस मकान को क्यों नहीं गिराया गया। इस पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई है।
तीन साल पहले भी इस मकान का एक हिस्सा ढहा था। तब से इसे नगर निगम ने खतरनाक घोषित कर दिया है। जिस कारण इस मकान में कोई फिलहाल नहीं रहता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ाबाजार में बाबूलाल लेन में लोगों की काफी भीड़ होती है। इसमें कोई शक नहीं कि अगर हादसा सुबह के बजाय दिन में होता तो जान-माल का काफी नुकसान होता। स्थानीय लोगों ने नगर निगम प्रशासन से सवाल किया है कि खतरनाक मकान घोषित करने के बाद भी इस मकान को क्यों नहीं गिराया गया। इस पर स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई है।
सिर पर मंडरा रहा पुरानी इमारतों का खतरा
कोलकाता में ब्रिटिश जमाने की पुरानी इमारतों की कमी नहीं है। कोलकाता के बड़ाबाजार, गिरीश पार्क, बड़तल्ला, सियालदह, तालतल्ला, बऊबाजार, महात्मा गांधी सहित कई इलाकों में ऐसी कई इमारतें हैं जो 150 से 250 वर्ष पुरानी हैं। नगर निगम का कहना है कि बार-बार नोटिस देने के बावजूद लोग घर खाली नहीं करते। जब कोई घटना होती है तो सारी जिम्मेदारी प्रशासन पर आ जाती है। मालूम हो कि कोलकाता नगर निगम की ओर से जिस मकान को खतरनाक घोषित करते हुए नोटिस लगा दिया जाए तो उसे नियमानुसार खाली कर देना चाहिए। पर बड़ाबाजार में लोग एक इंच भी अपनी जगह को छोडऩा नहीं चाहते हैं। इसलिए वे मौत के साए में बेफिक्र होकर दिन गुजारते हैं।
कोलकाता में ब्रिटिश जमाने की पुरानी इमारतों की कमी नहीं है। कोलकाता के बड़ाबाजार, गिरीश पार्क, बड़तल्ला, सियालदह, तालतल्ला, बऊबाजार, महात्मा गांधी सहित कई इलाकों में ऐसी कई इमारतें हैं जो 150 से 250 वर्ष पुरानी हैं। नगर निगम का कहना है कि बार-बार नोटिस देने के बावजूद लोग घर खाली नहीं करते। जब कोई घटना होती है तो सारी जिम्मेदारी प्रशासन पर आ जाती है। मालूम हो कि कोलकाता नगर निगम की ओर से जिस मकान को खतरनाक घोषित करते हुए नोटिस लगा दिया जाए तो उसे नियमानुसार खाली कर देना चाहिए। पर बड़ाबाजार में लोग एक इंच भी अपनी जगह को छोडऩा नहीं चाहते हैं। इसलिए वे मौत के साए में बेफिक्र होकर दिन गुजारते हैं।