कोई हॉकरों से घिरा हुआ है तो कहीं कोई और समस्या खेलने की जगह का अभाव बच्चों के चौतरफा विकास में अटका रहा रोड़ाकोलकाता. महानगर की आर्थिक राजधानी बड़ाबाजार में पार्कों की कमी है। जो पार्क हैं भी उनकी हालत खराब है। कोई हॉकरों से घिरा हुआ है तो कहीं कोई और समस्या है। बड़ाबाजार के लोग सुबह की सैर के लिए विक्टोरिया मेमोरियल जाने को मजबूर होते हैं। वहीं शाम के समय इलाके के बच्चों के खेलने की जगह का अभाव उनके चौतरफा विकास में रोड़ा अटका रहा है। थके हारे मुसाफिरों को छाया में सुस्ताने की जगह नहीं है। हरियाली के बीच योग, व्यायाम करने की जगह का भी अभाव है। प्रस्तुत है बड़ाबाजार के कई वार्डों में पार्कों की समस्या की लाइव रिपोर्ट। -- हाल-ए-सत्यनारायण पार्कपक्षी को छाया नहीं गेटों पर ताले- 42 नंबर वार्ड का इकलौता पार्क कोलकाता. बड़ाबाजार का वार्ड नंबर 42 भले ही आर्थिक संसाधनों के मामले में किसी भी वार्ड को चुनौती देता हो लेकिन पार्क के मामले में वार्ड कंगाल हैं। इकलौता सत्यनारायण पार्क दिन में दो बार खुलता तो है लेकिन यहां छाया तक नहीं है। घास की परत है लेकिन गेटों पर ताले लगे हुए हैं। पार्क के दो गेट तो बरसों से बंद हैं। इकलौते खुले गए गेट के सामने भी हॉकरों का कब्जा है। बच्चों के खेलने के लिए झूलेे और फिसलपट्टी तो है लेकिन फिसलपट्टी की परत इतनी खुरदुरी है कि बच्चों की चमड़ी ही छिल जाए। एक मात्र झूला भी आवाज करता है। उसमें जगह -जगह जंग लगी है। जिसपर पेटिंग के बाद भी ज्यादा असर नहीं हुआ है। सी शॉ की बेयरिंग भी जाम हुई लगती है। पार्क सुबह छह से नौ व शाम को तीन से पांच बचे तक खुलता है। पार्क में फव्वारा तो लगा हुआ है पर काम नहीं करता। बेंचों की संख्या भी नगण्य है। छायादार जगह में कचरा, मलबा फेंका गया है। कॉटन स्ट्रीट वाले पार्क के दोनों गेट के सामने हॉकरों का कब्जा है। --बचपन में खेलते थे कंचे इलाके के निवासी बताते हैं कि पार्क के बाजार के रूप में प्रमोट होने से पहले वे वहां कंचे खेलते थे। मिट्टी में दौडऩे-भागने का आनंद ही कुछ और था। अब तो कुछ घंटों के लिए ही पार्क खुलता है उसमें भी तमाम तरह की बंदिशे हैं। --यह कहते हंै पार्षद माकपा के शासनकाल में सत्यनारायण पार्क को निजी हाथों में सौंप दिया गया। अब पार्क को कोलकाता नगर निगम के दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पार्क आम लोगों के लिए होना चाहिए। महेश शर्मा, पार्षद वार्ड क्रमांक 42
कोई हॉकरों से घिरा हुआ है तो कहीं कोई और समस्या खेलने की जगह का अभाव बच्चों के चौतरफा विकास में अटका रहा रोड़ाकोलकाता. महानगर की आर्थिक राजधानी बड़ाबाजार में पार्कों की कमी है। जो पार्क हैं भी उनकी हालत खराब है। कोई हॉकरों से घिरा हुआ है तो कहीं कोई और समस्या है। बड़ाबाजार के लोग सुबह की सैर के लिए विक्टोरिया मेमोरियल जाने को मजबूर होते हैं। वहीं शाम के समय इलाके के बच्चों के खेलने की जगह का अभाव उनके चौतरफा विकास में रोड़ा अटका रहा है। थके हारे मुसाफिरों को छाया में सुस्ताने की जगह नहीं है। हरियाली के बीच योग, व्यायाम करने की जगह का भी अभाव है। प्रस्तुत है बड़ाबाजार के कई वार्डों में पार्कों की समस्या की लाइव रिपोर्ट। -- हाल-ए-सत्यनारायण पार्कपक्षी को छाया नहीं गेटों पर ताले- 42 नंबर वार्ड का इकलौता पार्क कोलकाता. बड़ाबाजार का वार्ड नंबर 42 भले ही आर्थिक संसाधनों के मामले में किसी भी वार्ड को चुनौती देता हो लेकिन पार्क के मामले में वार्ड कंगाल हैं। इकलौता सत्यनारायण पार्क दिन में दो बार खुलता तो है लेकिन यहां छाया तक नहीं है। घास की परत है लेकिन गेटों पर ताले लगे हुए हैं। पार्क के दो गेट तो बरसों से बंद हैं। इकलौते खुले गए गेट के सामने भी हॉकरों का कब्जा है। बच्चों के खेलने के लिए झूलेे और फिसलपट्टी तो है लेकिन फिसलपट्टी की परत इतनी खुरदुरी है कि बच्चों की चमड़ी ही छिल जाए। एक मात्र झूला भी आवाज करता है। उसमें जगह -जगह जंग लगी है। जिसपर पेटिंग के बाद भी ज्यादा असर नहीं हुआ है। सी शॉ की बेयरिंग भी जाम हुई लगती है। पार्क सुबह छह से नौ व शाम को तीन से पांच बचे तक खुलता है। पार्क में फव्वारा तो लगा हुआ है पर काम नहीं करता। बेंचों की संख्या भी नगण्य है। छायादार जगह में कचरा, मलबा फेंका गया है। कॉटन स्ट्रीट वाले पार्क के दोनों गेट के सामने हॉकरों का कब्जा है। --बचपन में खेलते थे कंचे इलाके के निवासी बताते हैं कि पार्क के बाजार के रूप में प्रमोट होने से पहले वे वहां कंचे खेलते थे। मिट्टी में दौडऩे-भागने का आनंद ही कुछ और था। अब तो कुछ घंटों के लिए ही पार्क खुलता है उसमें भी तमाम तरह की बंदिशे हैं। --यह कहते हंै पार्षद माकपा के शासनकाल में सत्यनारायण पार्क को निजी हाथों में सौंप दिया गया। अब पार्क को कोलकाता नगर निगम के दायरे में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पार्क आम लोगों के लिए होना चाहिए। महेश शर्मा, पार्षद वार्ड क्रमांक 42