कोलकाता के मानिकतला में सिलाई-कम्प्यूटर प्रशिक्षण, कढ़ाई, ब्यूटीशियन कोर्स, पुरूलिया के बागमुंडी में मॉस्क निर्माण आदि के माध्यम से आदिवासी लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। हैंडपंप, पौधरोपण, कृषि-खेती के आधुनिक तकनीक से जनजातियों को अवगत कराना भी इसमें शामिल है। उल्लेखनीय है कि पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के मॉस्क बागमुंडी से ही तैयार होकर भेजे जाते हैं। बंगाल के सुंदरवन के गोसाबा द्वीप में जनजाति बालाओं के लिए बने छात्रावास में भी उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग सहित अन्य प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इस छात्रावास में रहने के कारण ही बंगाल से सटे बांग्लादेश सहित अन्य प्रदेशों में होने वाली लड़कियों की तस्करी पर लगाम लगी। छात्रावास की वर्तमान प्रभारी रेवती मंडल ने सुंदरवन के गोसाबा द्वीप से फोन पर पत्रिका को बताया कि अभी इस छात्रावास में 63 लड़कियां रह रही हैं, जिनके निशुल्क रहने-खाने-पीने सहित चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध है। समय-समय पर यहां मेडिकल कैंप लगाए जाते हैं। पूरे बंगाल में इसके तहत 14 छात्रावास अभी चल रहे हैं, जिसमें लड़कियों के लिए 3 और लडक़ों के 11 हैं।
इन छात्रावासों में रहकर शिक्षित और संस्कारित होकर जनजाति बालाएं आज देश के विभिन्न प्रदेशों में बेहतर मुकाम हासिल कर सेवारत हैं। इनमें बेंगलूरु के विवेकानंद योग केंद्र में फिलहाल बतौर नेचुरौपैथी सेवा दे रही डॉ. डोनी रियांग और पुरूलिया के छात्रवास की प्रमुख मालती सोरेन मुख्य हैं। मालती ने पुरूलिया के छात्रावास में ही रहकर शिक्षा पूरी की और आज वहीं कार्यरत है। कुसुम ने बताया कि उन्हें समाजसेवा की प्रेरणा उनके पिताजी सीताराम लढिय़ा से मिली। अब उनकी भावी योजना शहरवासियों को जोडऩे की है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है।
सबसे पहले 28 फरवरी, 1909 को अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर इस दिवस को मनाया गया। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिला और उस समय इसका मकसद महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलाना था, क्योंकि अधिकतर देशों में महिलाओं को वोट देने का अधिकार ही नहीं था। 1917 में रूसी महिलाओं ने महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिए हड़ताल किया, जिसके चलते जार ने सत्ता छोड़ी और अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। चूंकि उस समय रूस में जूलियन कैलेंडर और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता था और इन दोनों की तारीखों में अंतर है। जूलियन कैलेंडर के मुताबिक 1917 की फरवरी का आखिरी रविवार 23 फरवरी था जबकि ग्रैगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। रूस सहित पूरी दुनिया में ग्रैगेरियन कैलैंडर चलता है, इसलिए हर साल ८ मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।