scriptदफ्तर में ‘मन’ चला तो मिलेगा सबक | Sexual Harassment of Women at Workplace | Patrika News

दफ्तर में ‘मन’ चला तो मिलेगा सबक

locationकोलकाताPublished: Feb 26, 2017 05:41:00 pm

Submitted by:

Abhishek ojha

कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीडऩ व छेड़छाड़ की कोई वारदात इलाके में पिछले सालों में सामने नहीं आई है लेकिन ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए आंतरिक शिकायत समितियों का गठन किया है।

कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीडऩ व छेड़छाड़ की कोई वारदात इलाके में पिछले सालों में सामने नहीं आई है लेकिन ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए आंतरिक शिकायत समितियों का गठन किया है। 

इसको लेकर विशेष तौर पर चिकित्सा महकमे में गंभीरता दिखाई जा रही है, जहां सात सदस्यीय समितियों की हर पखवाड़ा में बैठक आयोजित होती है। इन समितियों पर महिला कार्मिकों को उत्पीडऩ की रोकथाम से जुड़े उपायों के लिए जागरूक व शिक्षित-प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी है।
भेजना होगा वार्षिक प्रतिवेदन

महिला अधिकारिता निदेशालय (जिला संरक्षण प्रकोष्ठ) के परिपत्र के मुताबिक संभाग, जिला और खंड स्तरीय आंतरिक शिकायत समितियों की आवश्यकतानुसार बैठक आयोजित कर वार्षिक प्रतिवेदन तैयार कर निदेशालय को भिजवाना है। हालांकि कई जगह समितियोंं का गठन नहीं हुआ है।
इलाके में स्थिति संतोषजनक

राष्ट्रीय व राज्य महिला आयोग (एनसीडब्लू) के मुताबिक कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीडऩ में वृद्धि हुई है। 2015 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ की 249 शिकायतों (रिपोर्ट की गई) की तुलना में 2016 में यह संख्या दोगुनी होकर 526 तक पहुंच गई। हालांकि सवाईमाधोपुर जिले में कार्यस्थल पर महिला उत्पीडऩ की एक भी मामला रिपोर्ट नहीं किया गया। अमूमन यही हाल गंगापुरसिटी उपखण्ड का है।
अधिनियम सख्ती से हो लागू

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीडऩ से बचाने, रोकथाम करने और शिकायतों के निवारण और इससे जुड़े मामलों के लिए सुरक्षा प्रदान करना है। अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों का उद्देश्य सभी महिला कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना और सुशासन के तरीकों को अपनाना है।
उपखण्ड से लेकर जिला स्तर तक

चिकित्सा महकमे में उपखण्ड से लेकर जिला स्तर पर आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया है। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी समितियों के पदेन अध्यक्ष है। इधर, सूत्रों से पता चला है कि ऐसी ही आंतरिक शिकायत समितियों का गठन दूसरे सरकारी कार्यालयों में किया गया।
नियोक्ता की जिम्मेदारी

सरकारी या निजी कार्यालयों में यह नियोक्ता की जिम्मेदारी है कि वह महिलाकर्मियों को एक सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए। आंतरिक शिकायत समिति का गठन, यौन उत्पीडऩ की 

दंडात्मक परिणामों को कार्यस्थल पर प्रदर्शित करना, आइसीसी के सदस्यों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम और कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम की व्यवस्था करना अधिनियम के तहत अनिवार्य बनाया गया है। अधिनियम की धारा 26(1) में कहा गया है कि इस अधिनियम के तहत नियोक्ता, 
अपने कर्तव्यों के उल्लंघन में पाये जाने की स्थिति में 50 हजार रुपए का जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होगा। साथ ही उसका लाईसेंस भी निरस्त किया जा सकता है या मामला गंभीर होने पर दोनों ही दंड दिए जा सकते हैं।
यह पड़ता है प्रभाव

कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ, लैंगिक समानता, जीवन और स्वतंत्रता को लेकर महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है। कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए अनुरूप वातावरण न होने की स्थिति में उनके लिए वहां कार्य करना मुश्किल हो जाता 
है और अगर ऐसे में यौन उत्पीडऩ होता है तो महिलाओं की भागीदारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


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