कोलकाता

अब औद्योगिक कचरे से नहीं होगा सिर दर्द, औद्योगिक जानकार मान रहे बड़ी राहत

औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी से निकलने वाले औद्योगिक कचरे से अब सीमेंट बनाया जा रहा है। प्रति महीने करीब पांच सौ टन स्लज सीमेंट निर्माण के लिए दो नामचीन प्लांट में दिया जा रहा है।

कोलकाताSep 21, 2016 / 01:58 pm

औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी से निकलने वाले औद्योगिक कचरे से अब सीमेंट बनाया जा रहा है। प्रति महीने करीब पांच सौ टन स्लज सीमेंट निर्माण के लिए दो नामचीन प्लांट में दिया जा रहा है। जिससे औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समस्या काफी हद तक हल हुई है। साथ ही भविष्य में उद्योगों से निकले कचरे के निस्तारण के लिए मार्ग खुला है।
औद्योगिक क्षेत्र से निकले गंदे पानी का कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) में निस्तारण किया जाता है। इसके बाद गंदे पानी से निकले मलबे (स्लज) को उदयपुर में निस्तारण के लिए भेजा जाता है। सीईटीपी से प्रति महीने करीब 12 सौ टन स्लज निकलता है। अभी तक एक सीमेंट इकाई द्वारा स्लज का उपयोग सीमेंट निर्माण के लिए किया जा रहा था।
अब एक और नामचीन सीमेंट प्लांट ने भी बड़ी तादाद में स्लज लेना शुरू कर दिया है। दोनों सीमेंट प्लांट में प्रति महीने पांच सौ टन से अधिक स्लज की खपत हो रही है। सीमेंट निर्माण में चूना पत्थर और लोह तत्व का उपयोग होता है। स्लज में भी चूना पत्थर और लोहा पाया जाता है। औद्योगिक जानकार इसे अच्छा प्रयोग बता रहे हैं। जानकारों की मानें तो स्लज का निस्तारण भिवाड़ी के लिए बड़ी समस्या थी। स्लज को उदयपुर भेजना पड़ता है।
निस्तारण के दौरान हानिकारक केमिकल को दूर करने के बाद डंपिंग किया जाता है, जिसमें जमीन का बड़ा भू-भाग घिर जाता है। स्लज का उपयोग सीमेंट में होने से उद्योगों के साथ वातावरण के लिए भी अच्छा संकेत है। इससे पहले झालावाड़ स्थित एक प्लांट में भी स्लज से सीमेंट तैयार किया जा रहा था। भिवाड़ी से निकलने वाले स्लज को नजदीक स्थित सीमेंट प्लांट में सप्लाई किया जा रहा है। जिसमें उदयपुर भेजने की अपेक्षा ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बहुत कम हुआ है।
उदयपुर भेजने पर निस्तारण के लिए भी अधिक पैसा खर्च करना पड़ता है। अब सीमेंट प्लांट की मांग से बचने वाले स्लज को ही उदयपुर भेजा जाता है। धीरे-धीरे सीमेंट प्लांट में स्लज की मांग बढ़ती जा रही है, जिससे उदयपुर भेजे जाने वाले स्लज की मात्रा कम होती जा रही है।
किए जा रहे हैं प्रयास

केसी गुप्ता क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने बताया किस्लज का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सीमेंट प्लांट द्वारा स्लज का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही उदयपुर की तरह साइड डवलपमेंट के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उद्योगों के लिए आधारभूत ढांचा विकसित होगा तो क्षेत्र में औद्योगिकीरण बढ़ेगा।
खर्चे हुए कम


सतेन्द्र चौहान चेयरमैन भिवाड़ी जल प्रदूषण निवारण ट्रस्ट ने बताया कि सीमेंट प्लांट में स्लज का उपयोग होने से खर्चे कम हो गए हैं। डंपिंग साइड की मांग की जा रही है। जिससे जयपुर तक के औद्योगिक क्षेत्र के स्लज का डिस्पोजल हो जाए। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की चेयरपर्सन अर्पणा अरोड़ा ने स्लज निस्तारण में प्रशंसनीय सहयोग दिया है।

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