scriptWest Bengal Election 2021: 25 फरवरी से बंगाल में कानून-व्यवस्था देखेंगे केन्द्रीय बल | Central force will see law and order in Bengal from February 25 | Patrika News

West Bengal Election 2021: 25 फरवरी से बंगाल में कानून-व्यवस्था देखेंगे केन्द्रीय बल

locationकोलकाताPublished: Feb 23, 2021 01:12:39 pm

Submitted by:

Manoj Singh

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने से पहले ही चुनाव आयोग ने राज्य में केन्द्रीय बलों की तैनात कर दिया है। शनिवार से राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की कंपनियां आ रही हैं और केंद्रीय बल के जवान एरिया डोमिनेशन के लिए रूट मार्च कर रहे हैं।

West Bengal Election 2021: 25 फरवरी से बंगाल में कानून-व्यवस्था देखेंगे केन्द्रीय बल

West Bengal Election 2021: 25 फरवरी से बंगाल में कानून-व्यवस्था देखेंगे केन्द्रीय बल

चुनाव घोषणा से पहले बंगाल में 125 केन्द्रीय बल कंपनियां तैनात
चुनाव आयोग के अभूतपूर्व फैसला से हैरत में राज्य प्रशासन
कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने से पहले ही चुनाव आयोग ने राज्य में केन्द्रीय बलों की तैनात कर दिया है। शनिवार से राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की कंपनियां आ रही हैं और केंद्रीय बल के जवान एरिया डोमिनेशन के लिए रूट मार्च कर रहे हैं। केन्द्रीय बल की कम से कम 125 कंपनियां राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम करेंगे।
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राज्य प्रशासन को एक विस्तृत तैनाती रणनीति भेजी है और जिला अधिकारियों को उसके बारे में सूचित किए जाने को कहा है। साथ ही राज्य के सभी जिलों में केन्द्रीय बलों को तैनात करने का निर्देश दिया है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार बंगाल में तैनात केन्द्रीय बल 25 फरवरी से कानून-व्यवस्था देखेंगे, जिनमें से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 60 कंपनियां, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 30 कंपनियां और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 25 कंपनियों के अलावा पांच कंपनियां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की हैं।
चुनाव की तारीख घोषणा होने से पहले चुनाव आयोग की ओर से केन्द्रीय बलों की तैनाती को लेकर पश्चिम बंगाल प्रशासन आश्चर्यचकित है। एक सहायक कमांडेंट के नेतृत्व में प्रत्येक कंपनी में 80 से 100 सुरक्षा कर्मी होंगे। केंद्र की ओर से भेजे गए बलों का खर्च राज्य सरकार को वहन करना होगा।

अभूतपूर्व फैसला
इससे पहले बंगाल में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद क्षेत्र को अपने प्रभाव में लेने के लिए केंद्रीय बलों की कुछ कंपनियों को तैनात किया जाता रहा है। 2016 के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद लगभग 30 कंपनियां और 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद लगभग 40 कंपनियां तैनात की गई थी। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा करने से पहले ही राज्य में केन्द्रीय बल की 125 कंपनियां तैनात करने का फैसला किया है।
पहले आमतौर पर संवेदनशील क्षेत्रों में वर्चस्व कायम करने लोगों में विश्वास बनाने के लिए केन्द्रीय बलों को तैनात किया जाता है। लेकिन इस वर्ष चुनाव आयोग ने राज्य के सभी जिलों में वर्चस्व कायम करने के लिए केन्द्रीय बल भेजा है। इसे राज्य के सभी जिलों को संवेदनशील घोषित की दिशा में उठाया गया कम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले केन्द्रीय बलों की तैनाती बंगाल के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व है। इसका अर्थ राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति और राज्य प्रशासन की निष्पक्षता से से चुनाव आयोग के संतुष्ट नहीं होने से लगाया जा रहा है। पिछले कई महीनों से राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने एक-दूसरे पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या करने का आरोप लगाया है। पिछले वर्ष से बंगाल में राजनीतिक हिंसा और हत्या में वृद्धि हुई है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हमला किया गया था, और पिछले छह महीनों में विपक्षी दलों के दर्जनों नेताओं की हत्या हुई है। भाजपा अपने 130 कार्यकर्ताओं की हत्या होने का दावा कर रही है।
बंगाल पर चुनाव आयोग का विशेष नजर
सूत्रों ने बताया कि चुनाव की घोषणा से पहले केन्द्रीय बलों की तैनाती बंगाल पर चुनाव आयोग के विशेष ध्यान देने की ओर संकेत करता है। इस साल असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव होने वाले है। लेकिन चुनाव आयोग ने इतनी बड़ी संख्या में केन्द्रीय बल नहीं भेजा है।

चुनाव आयोग ने दिया था पहले संकेत
चुनाव आयोग ने बंगाल में शान्तिनपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए विशेष कदन उठाने के बहुत पहले ही संकेत दिया था। चुनाव आयोग ने पहले ही कहा था कि वह बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा था। उसने जिला अधिकारियों से नियमित रूप से जिलों की कानून-व्यवस्था संबंधित विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था। चुनाव की घोषणा से पहले केंद्रीय बलों के भेजा जाना जिला अधिकारियों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया गया फैसला माना जा रहा है।
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