अभूतपूर्व फैसला
इससे पहले बंगाल में चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद क्षेत्र को अपने प्रभाव में लेने के लिए केंद्रीय बलों की कुछ कंपनियों को तैनात किया जाता रहा है। 2016 के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद लगभग 30 कंपनियां और 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद लगभग 40 कंपनियां तैनात की गई थी। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा करने से पहले ही राज्य में केन्द्रीय बल की 125 कंपनियां तैनात करने का फैसला किया है।
पहले आमतौर पर संवेदनशील क्षेत्रों में वर्चस्व कायम करने लोगों में विश्वास बनाने के लिए केन्द्रीय बलों को तैनात किया जाता है। लेकिन इस वर्ष चुनाव आयोग ने राज्य के सभी जिलों में वर्चस्व कायम करने के लिए केन्द्रीय बल भेजा है। इसे राज्य के सभी जिलों को संवेदनशील घोषित की दिशा में उठाया गया कम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले केन्द्रीय बलों की तैनाती बंगाल के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व है। इसका अर्थ राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति और राज्य प्रशासन की निष्पक्षता से से चुनाव आयोग के संतुष्ट नहीं होने से लगाया जा रहा है। पिछले कई महीनों से राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने एक-दूसरे पर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या करने का आरोप लगाया है। पिछले वर्ष से बंगाल में राजनीतिक हिंसा और हत्या में वृद्धि हुई है। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के काफिले पर सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हमला किया गया था, और पिछले छह महीनों में विपक्षी दलों के दर्जनों नेताओं की हत्या हुई है। भाजपा अपने 130 कार्यकर्ताओं की हत्या होने का दावा कर रही है।
बंगाल पर चुनाव आयोग का विशेष नजर
सूत्रों ने बताया कि चुनाव की घोषणा से पहले केन्द्रीय बलों की तैनाती बंगाल पर चुनाव आयोग के विशेष ध्यान देने की ओर संकेत करता है। इस साल असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में विधानसभा चुनाव होने वाले है। लेकिन चुनाव आयोग ने इतनी बड़ी संख्या में केन्द्रीय बल नहीं भेजा है।
चुनाव आयोग ने बंगाल में शान्तिनपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए विशेष कदन उठाने के बहुत पहले ही संकेत दिया था। चुनाव आयोग ने पहले ही कहा था कि वह बंगाल में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा था। उसने जिला अधिकारियों से नियमित रूप से जिलों की कानून-व्यवस्था संबंधित विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था। चुनाव की घोषणा से पहले केंद्रीय बलों के भेजा जाना जिला अधिकारियों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर लिया गया फैसला माना जा रहा है।