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बांटो और राज करो की नीति अपना रही है केन्द्र सरकार- पाटकर

locationकोलकाताPublished: Dec 31, 2020 10:57:27 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

कृषि कानून वापस नहीं लिया तो आंदोलन करेंगे तेज

बांटो और राज करो की नीति अपना रही है केन्द्र सरकार- पाटकर

बांटो और राज करो की नीति अपना रही है केन्द्र सरकार- पाटकर

सिलीगुड़ी. केन्द्र सरकार की ओर से पास किए गए तीनों कृषि कानून किसान विरोधी है। कानून पूंजीपतियों की झोली भरने वाले हंै। जिन्हें केंद्र सरकार को अविलंब वापस लेना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो पूरे देश में आदोलन किया जाएगा। किसान संघर्ष समन्वय समिति की वरिष्ठ सदस्य मेधा पाटकर ने बुधवार को यह बात कही। वे बुधवार को उत्तर दिनाजपुर के चोपड़ा में किसान आंदोलन को समर्थन देने के बाद सिलीगुड़ी में संवाददाताओं से बात कर रही थीं। पाटकर ने कहा कि तीनों कानून किसानों को बंधुआ मजदूर बनाकर रख देंगे। वे किसान आंदोलन के समर्थन में 1 जनवरी को कोलकाता में धरना-प्रदर्शन करेंगी। उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों की समस्याओं को राज्य सरकार के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को कमजोर बनाने के लिए फूट डालो और राज करो की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा सरकार तत्काल संसद का सत्र बुलाकर कानून को रद्द करे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए नया कानून बनाए। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सरकार ने चर्चा के लिए तो बुलाया लेकिन कोई एजेंडा नहीं आया। अगर सरकार कोई बातचीत करती हैं तो पहले एजेंडा आता है लेकिन यहा तो ऐसा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान अंहिसा और सत्याग्रह के सहारे आदोलन कर रहे हैं, इसलिए हमको डरने की जरूरत ही नहीं है। पाटकर ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के काल में 44 कानून खत्म किए हैं, उन पर बात होगी, क्योंकि इन कानूनों का सीधा संबंध खेत मजदूर और दूसरे श्रमिकों से है।
पाटकर ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री, एआईकेएससीसी, संयुक्त किसान मोर्चा एवं दूसरे किसान संगठनों से बात क्यों नहीं करना चाहते। वे इन संगठनों के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने से क्यों डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस आदोलन को जितना दबाने की कोशिश करेगी, यह उतना ही तेज होगा। कोरोना संक्रमण की वजह से देश में अभी ट्रांसपोर्ट के उतने साधन नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। वे स्वयं इस आदोलन का समर्थन करने सिंघु बॉर्डर पर पहुंची थीं। नर्मदा बचाओ आदोलन के कार्यकर्ता भी किसानों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। किसानों के लिए बने कानूनों को खत्म करने के साथ साथ असंगठित क्षेत्र की आॢथक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बात करेंगे।

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