पाटकर ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री, एआईकेएससीसी, संयुक्त किसान मोर्चा एवं दूसरे किसान संगठनों से बात क्यों नहीं करना चाहते। वे इन संगठनों के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने से क्यों डर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस आदोलन को जितना दबाने की कोशिश करेगी, यह उतना ही तेज होगा। कोरोना संक्रमण की वजह से देश में अभी ट्रांसपोर्ट के उतने साधन नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। वे स्वयं इस आदोलन का समर्थन करने सिंघु बॉर्डर पर पहुंची थीं। नर्मदा बचाओ आदोलन के कार्यकर्ता भी किसानों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। किसानों के लिए बने कानूनों को खत्म करने के साथ साथ असंगठित क्षेत्र की आॢथक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी बात करेंगे।