कोलकाता

केन्द्र 30 को करेगा प्री-स्कूल नीति की घोषणा

प्री-स्कूल नीति में दिशानिर्देश दिया जाएगा कि शिक्षण संस्थान में शिक्षकों को कैसे सिस्टम में समाहित किया जाएगा और उनका किस तरह के पाठ्यक्रम होगा।

कोलकाताJun 05, 2018 / 10:34 pm

MANOJ KUMAR SINGH

केन्द्र 30 को करेगा प्री-स्कूल नीति की घोषणा

प्री-स्कूल होगा समग्र शिक्षा अभियान का हिस्सा
कोलकाता
किंडरगार्डन मॉडल को स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार मौजूदा स्कूल शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए 30 जून को प्री-स्कूल नीति की घोषणा करेगी। प्री-स्कूल में आंगनबाड़ी को समाहित किया जाएगा और यह सम्पूर्ण शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा अभियान होगा। केन्द्रीय स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने मंगलवार को कहा कि 30 जून तक प्री-स्कूल नीति तैयार कर ली जाएगी और सरकार इससे संबंधित दिशानिर्देश जारी करेगी। उक्त नीति में बुनियादी ढांचा के संबंध में स्पष्ट दिशानिर्देश दिया जाएगा। वे कोलकाता में एसोचेम की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान एसोचेम की तरणजीत कौर अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। एसोचेम की ओर से अनिल स्वरुप को प्री-स्कूल से संबंधित सिफारिशों की पुस्तिका भी सौंपी गई। अनिल स्वरूप ने बताया कि प्री-स्कूल नीति में यह दिशानिर्देश दिया जाएगा कि किसी भी शिक्षण संस्थान में शिक्षकों को कैसे सिस्टम में समाहित किया जाएगा और उनका किस तरह के पाठ्यक्रम होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्कूल शिक्षा विभाग इस विषय पर विचार विमर्श कर रहा है। इसके अलावा एनसीइआरटी ने भी इसके पाठ्यक्रम तैयार किया है। फिलहाल इसके संबंध में केन्द्रीय स्कूल शिक्षा विभाग संबंधित संस्थानों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है। सरकार समाज के विभिन्न वर्ग से इस बारे में उनका विचार मांग रही है। सभी के विचारों पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद प्री-स्कूल नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
गुणवत्ता बढ़ाने की योजनाइससे पहले केन्द्रीय स्कूल शिक्षा सचिव ने सोमवार को कहा था कि इस नीति में आंगनबाड़ी के शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण दे कर उनकी गुणवत्ता बढ़ाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि स्कूल स्तर पर पास-फेल पद्धति लागू करने के लिए केन्द्र सरकार जुलाई में होने वाले संसद सत्र में बिल पेश करेगी। उसके बाद कक्षा पांच और आठवीं कक्षा में पास-फेल लागू होगा। उन्होंने यह भी कहा था पास-फेल लागू करना अलग बात, लेकिन उनकी व्यक्तिगत सलाह है कि स्कूलों को परीक्षा लेनी चाहिए, जिससे छात्र-छात्राओं की क्षमता का पता चल सके और उनमें सुधार लाया जा सके।
 
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