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कोलकाता

गुदड़ी के लाल का कमाल: कदम झोपड़ी में, तो नजर चंद्रमा पर

Chandrayan 2: कहते हैं उडऩे के लिए परों से ज्यादा हौसलों की जरूरत होती है। ऐसे ही हौसले दिखाए हैं हुगली के चंद्रकांत ने। गुदड़ी के इस लाल की उपलब्धियों पर आज पूरे देश पर फख्र हो रहा है। पूरी दुनिया में वैज्ञानिक क्षमता का डंका बजाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO )

कोलकाताJul 23, 2019 / 11:07 pm

Nitin Bhal

Chandrakant of Bengal is key person behind Chandrayan 2

गुदड़ी के लाल का कमाल: कदम झोपड़ी में, तो नजर चंद्रमा पर

कोलकाता/हुगली. कहते हैं उडऩे के लिए परों से ज्यादा हौसलों की जरूरत होती है। ऐसे ही हौसले दिखाए हैं हुगली के चंद्रकांत ने। गुदड़ी के इस लाल की उपलब्धियों पर आज पूरे देश पर फख्र हो रहा है। पूरी दुनिया में वैज्ञानिक क्षमता का डंका बजाते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) की ओर से सोमवार को सफलतापूर्वक लॉन्च किए गए मिशन चंद्रयान-2 ( Chandrayan-2 ) की कामयाबी में बंगाल के लाल चंद्रकांत का भी अहम योगदान है। चंद्रयान-2 की लांचिंग टीम में शामिल वैज्ञानिकों की टीम में बंगाल के हुगली जिले के गुड़ाप निवासी चंद्रकांत कुमार की बड़ी भूमिका है। चंद्रकांत के पिता मधुसूदन कुमार और मां असीमा देवी ने मंगलवार रात राजस्थान पत्रिका से खास बातचीत में कहा कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है। पत्रिका संवाददाता के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि खुशी से उनकी आंखें उस समय झलक उठी जब टीवी पर उन्होंने सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण देखा। पूरा परिवार इस ऐतिहासिक पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। पहले 15 जुलाई को इसे लांच होना था, पर तकनीकी दिक्कतों के कारण इसे 22 जुलाई, 2019 सोमवार दोपहर 2.43 पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। चंद्रयान 2 की लांचिंग से पहले चंद्रकांत ने अपनी मां को सुबह फोन किया और कहा कि वह लगातार टीवी देखती रहे। मां को भी बेटे पर नाज है। मधुसूदन ने कहा कि उसने न केवल भारत बल्कि बंगाल की माटी का कर्ज भी अदा कर डाला। पेशे से किसान मधुसूदन ने कहा कि उनका परिवार मध्यम वर्ग का है और उन्हें यकीन नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि उनका बेटा भविष्य में भी भरत के विकास में योगदान देगा। चंद्रकांत का छोटा भाई शशिकांत भी वैज्ञानिक है।

नहीं सोचा था चांद पर पहुंचाएगा चंद्रकांत

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उन्होंने कहा कि जब बेटे का नाम चंद्रकांत रखा था तब शायद नहीं सोचा कि आगे चलकर यही चंद्रकांत चांद पर भारत का कदम जमाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। चंद्रकांत के माता-पिता आज भी झोपड़ी में रहते हैं। दरअसल चंद्रकांत ने एक एंटीना बनाया जिसके जरिए चंद्रयान-2 का पूरा संचार नियंत्रित हो रहा है। इसके अलावा भारत के मंगल मिशन के लिए संचार में भी उनका एंटीना इस्तेमाल किया जा रहा है। चंद्रकांत के बनाए एंटीना के जरिए ही धरती के कक्ष के बाहर चंद्रयान-2 तस्वीरें और अन्य संदेशों को भेजेगा।

गांव में ही हुई पढ़ाई

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गुड़ाप थाना अंतर्गत शिवपुर गांव में चंद्रकांत का पैतृक आवास है और 8वीं तक उन्होंने मजीना नव विद्यालय में पढ़ाई की। 1992 में खजूरदह उच्च विद्यालय से माध्यमिक तथा धनियाखाली महामाया विद्या मंदिर से उच्च माध्यमिक परीक्षा पास कर बेलूर रामकृष्ण मिशन से भौतिक विज्ञान में बीएससी ऑनर्स की डिग्री ली। रेडियो फिजिक्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स लेकर एमएससी और एमटेक की पढ़ाई राजा बाजार साइंस कॉलेज से, कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएचडी और 2001 से इसरो में नौकरी करने लगे। अभी चंद्रयान-2 मिशन में बतौर डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर (टेक्निकल) हैं।

खुशियों में चार चांद

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बेटे की सफलता ने किसान माता-पिता की खुशियों में चार चांद लगा दिया है। गरीबी से जूझते हुए खुद कम खाकर बेटों की पढ़ाई और भोजन की व्यवस्था माता-पिता करते थे। आज भी चंद्रकांत का पैतृक आवास पुआल की मड़ई से बना हुआ है। घर के पास कटहल का पेड़ है और आसपास कई फूलों के पेड़ भी लगे हैं।

पिता हुए थे उदास

चंद्रकांत के पिता ने कहा कि जब इस मिशन को पहले टाला गया तो वे काफी दुखी थे। उन्हें फख्र है कि उनका बेटा इस मिशन का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि गहने गिरवी रखकर, सूद पर रुपए लेकर बेटे की पढ़ाई पूरी कराई। मां ने कहा कि चंद्रकांत जब पढ़ रहे थे तो उनकी सारी जरूरतें हमलोग पूरी नहीं कर पाते थे लेकिन कोशिश में कोई कमी नहीं रखते थे। आज बेटे के कारण देश का नाम पूरी दुनिया में हो रहा है। इससे बड़ी खुशी की बात कुछ नहीं होगी।

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