आप को बता दें कि वर्ष 2008 में सालबनी में जिंदल कारखाने के शिलान्यास कार्यक्रम से मिदनापुर लौटते समय बंगाल के तात्कालिक मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के काफिले को माओवादियों ने निशाना बनाया था। राष्ट्रीय राजमार्ग-60 पर बिछाई गई बारूदी सुरंग में विस्फोट किया गया था। पुलिस ने वर्ष 2009 में छत्रधर महतो समेत पीसीपीए के कई सदस्यों को गिरफ्त में लिया था। जिनके खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। 12 मई, 2015 में मिदनापुर जिला अदालत ने महतो को उम्रकैद की सुजा सुनाई थी। वर्ष 2019 के अगस्त महीने में कलकत्ता हाईकोर्ट ने छत्रधर महतो की आजीवन कारावास की सजा को 10 साल के कारावास में बदल दिया था। महतो 1 फरवरी 2020 को जेल से छूटे हैं।
मुख्यमंत्री के काफिले पर हुए हमले के बाद पुलिस ने आरोपियों की खोज के लिए तलाशी अभियान चलाया था। जिसपर अत्याचार का आरोप लगा था। आंदोलन शुरू हुआ था। उस समय ममता छत्रधर व अन्य आंदोलनकारियों से मिलने जंगलमहल तक गई थीं।