——————————- आस्था और भक्ति के अलग-अलग रंग कोलकाता
सूर्य उपासना के महापर्व में आस्था और भक्ति के तरह-तरह के रंग दिखे। कुछ श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ तो, कुछ छठव्रती भुंईपरी (जमीन पर दंडवत करते ) करते गंगाघाट जाते हुए तो कुछ किन्नर नचाते हुए गंगातट पहुंचते नजर आए। छठपूजा में भुंईपरी और किन्नर नचाने का महत्व है। श्रद्धालु छठी मइया से मनोकामना पूर्ण करने आर्शीवाद मांगा। कोई पुत्र मांगता है तो कोई परिवार में बीमार चल रहे लोगों के निरोग होने की कामना करता है, कोई अन्न-धन-लक्ष्मी मांगता है। साथ ही मनोकामना पूरी होने पर अगले साल गाजे-बाजे के साथ अथवा किन्नरों को नचाते हुए गंगा तट आने का वायदा करते हैं। दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे से ही छठव्रती पूजन सामग्री लेकर अपने घरों से गंगा घाटों के लिए निकल पड़े। गंगातटों की ओर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ देख पुलिस ने समय-समय पर महानगर की कुछ सडक़ों पर ट्रैफिक रूटों में बदलाव किया।
सूर्य उपासना के महापर्व में आस्था और भक्ति के तरह-तरह के रंग दिखे। कुछ श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ तो, कुछ छठव्रती भुंईपरी (जमीन पर दंडवत करते ) करते गंगाघाट जाते हुए तो कुछ किन्नर नचाते हुए गंगातट पहुंचते नजर आए। छठपूजा में भुंईपरी और किन्नर नचाने का महत्व है। श्रद्धालु छठी मइया से मनोकामना पूर्ण करने आर्शीवाद मांगा। कोई पुत्र मांगता है तो कोई परिवार में बीमार चल रहे लोगों के निरोग होने की कामना करता है, कोई अन्न-धन-लक्ष्मी मांगता है। साथ ही मनोकामना पूरी होने पर अगले साल गाजे-बाजे के साथ अथवा किन्नरों को नचाते हुए गंगा तट आने का वायदा करते हैं। दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे से ही छठव्रती पूजन सामग्री लेकर अपने घरों से गंगा घाटों के लिए निकल पड़े। गंगातटों की ओर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ देख पुलिस ने समय-समय पर महानगर की कुछ सडक़ों पर ट्रैफिक रूटों में बदलाव किया।