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कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा मतदान स्थगित करने का अधिकार किसके पास

locationकोलकाताPublished: Jan 14, 2022 04:14:54 pm

Submitted by:

Krishna Das Parth

राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार की दलीलों से नहीं हुए संतुष्ट-किया असंतोष प्रकट
-नगरनिगम चुनाव पर फैसले का इंतजार-सुनवाई हुई पूरी

कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा मतदान स्थगित करने का अधिकार किसके पास

कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा मतदान स्थगित करने का अधिकार किसके पास

कोलकाता .
कलकत्ता हाई कोर्ट में नगर निगम चुनाव के मुद्दे पर हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार से यह पूछा कि मतदान स्थगित करने का अधिकार किसके पास है। इस पर राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार की ओर से जो दलीलें दी गई उससे मुख्य न्यायाधीश संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने असंतोष प्रकट करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
22 जनवरी को विधाननगर, चंदननगर, आसनसोल तथा सिलीगुड़ी नगरनिगम में मतदान होगा या नहीं इस पर कलकत्ता हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई पूरी हो गई।
सुनवाई के दौरान एक विचित्र स्थिति सामने आई। मुख्यन्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने जानना चाहा था कि मतदान स्थगित करने का अधिकार किसके पास है? इस पर राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार की ओर से परस्पर विरोधी दलीलें दी गई। आयोग ने कहा कि राज्य सरकार के पास यह अधिकार है। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि आयोग ही मतदान पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकारी है। इस पर मुख्य न्यायधीश ने असंतोष प्रकट किया। बाद में आयोग ने कहा कि सरकार यदि आपातकाल जारी करे तो मतदान स्थगित हो सकता है। आयोग की ओर से जानकारी दी गई कि 9500 लोग मतदान कार्य में हिस्सा लेंगे। सरकार की ओर से कहा गया कि विधाननगर और सिलीगुडी में 100 फीसदी तथा आसानसोल और चंदननगर में 90-95 फीसदी टीकाकरण हो चुका है। इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट जल्द फैसला सुनाया जाएगा। कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चुनाव स्थगित करने या टाल देने को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई थी।
उच्च न्यायालय के एक प्रश्न के उत्तर में राज्य के वकील सम्राट सेन ने कहा कि राज्य मतदान कराने के लिए आयोग को प्रस्ताव दे सकता है। अंतिम निर्णय आयोग द्वारा लिया जाता है। उनके पास चुनाव कराने का पूरा अधिकार है। नतीजतन, अगर वोट में देरी होती है, तो आयोग कानून को लागू कर सकता है।
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव ने तब पूछा, “आयोग को क्या लगता है कि इस स्थिति में क्या चुनाव कराना जाना चाहिए?” जवाब में आयोग के वकील जयंत कुमार मित्रा ने कहा, ”इस मामले में भी हमें राज्य से बात करनी है। आयोग अपनी पहल पर कोई निर्णय नहीं ले सकता। यह राज्य सरकार से परामर्श के बाद ही संभव है।”

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