नर्सिंगहोम व क्लीनिक खोलकर चलता था फर्जीवाड़ा अशोकनगर थाने की पुलिस के सूत्रों ने बताया कि डॉ. मनोज ही शिशु तस्करी का मूल आरोपी है। बनानी नर्सिंगहोम के नीचे ही मनोज एक क्लीनिक चलाता था। महिला व बाल विशेषज्ञ इस क्लीनिक में हर दिन लोगों की अच्छी खासी भीड़ होती थी। नि:संतान दंपती मनोज का पहला लक्ष्य होते थे। इसके साथ ही वह गर्भपात कराने का भी काम करता था। पूरे इलाके में मनोज एक शिशु व महिला विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में जाना जाता था। इसके साथ ही क्लीनिक के नीचे एक चाय की दुकान चलाने वाले दो लोगों को वह इस काम में इस्तेमाल करता था। क्लीनिक में आने-जाने वाले लोगों को चाय दुकान के दंपती बातचीत करते व उनके बारे में सब जान लेते। उसके बाद जो पैसे देने के लायक होता उसे सलाह भी देते कि वे चाहें तो फिर उनकी गोद भर सकती है। इतना सुनते ही लोग झांसे में पड़ जाते थे। ऐसे ही झांसे में आकर दीपा ने बच्चा खरीदा था।
सालों से चल रहा शिशु तस्करी का धंधा शुक्रवार को मामले के खुलासे के बाद अशोकनगर थाने की पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस का कहना है कि बनानी नर्सिंगहोम में यह धंधा लम्बे समय से चल रहा है। पुलिस सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है। पुलिस का कहना है कि मनोज को लोग अच्छे चिकित्सक के रूप में जानते हैं। नर्सिंगहोम के पीछे क्या चल रहा किसी को कानों कान इसकी कोई खबर नहीं थी। कभी कोई भी ऐसी घटना नहीं हुई जिससे किसी को शिशु तस्करी को लेकर कोई शक हुआ हो। इधर मनोज अपना धंधा चलाता रहा।