हाथियों एवं इंसानों के बीच टकराव खतरनाक स्थिति में
कोलकाताPublished: Dec 20, 2020 11:34:15 pm
असम, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड समेत देश के कुछ राज्यों में हाथियों एवं इंसानों के बीच टकराव खतरनाक स्थिति में पहुंचता दिख रहा है। टकराव में हर साल देश में औसत 500 लोगों तथा 100 से अधिक हाथियों की मौत हो जाती है। असम में पिछले सात सालों में हाथियों से टकराव में 467 लोग मारे जा चुके हैं
हाथियों एवं इंसानों के बीच टकराव खतरनाक स्थिति में
असम, ओडिशा, बंगाल और झारखंड में सर्वाधिक मौतें
हर साल देश में औसत 500 लोगों तथा 100 से अधिक हाथियों की जा रही जान
कोलकाता. असम, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड समेत देश के कुछ राज्यों में हाथियों एवं इंसानों के बीच टकराव खतरनाक स्थिति में पहुंचता दिख रहा है। टकराव में हर साल देश में औसत 500 लोगों तथा 100 से अधिक हाथियों की मौत हो जाती है। असम में पिछले सात सालों में हाथियों से टकराव में 467 लोग मारे जा चुके हैं। 2017 में 43 लोगों की मौत हाथियों से हुई। 2016 में 92 लोग मारे गए थे। असम, बंगाल, ओडिशा में आए दिन हाथियों और इंसानों के बीच टकराव देखने को मिल रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक 2014-15 से 2018-19 तक देश में जहां कुल 2381 लोगों की जान गई है तो इन तीन राज्यों में ही 1132 की मौत हुई है। इसी तरह इस दौरान जहां पूरे देश में 490 हाथियों की अप्राकृतिक मौत हुई है तो इन राज्यों का आंकड़ा 259 है। दूसरी तरफ झारखंड में टकराव के रोजाना 2 मामले सामने आ रहे हैं। सालाना 74 लोगों की मौत हो रही है तथा 130 घायल हो रहे हैं। 2000 से लेकर जून 2020 तक राज्य में 1405 लोगों की जान गई है।
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इंसानों एवं हाथियों का आमना सामना होने के कारण ही दोनों की मौत हो रही है। एक हाथी को आमतौर पर 100 लीटर पानी और खाने के लिए 200 किलो पत्ते, पेड़ की छाल आदि की जरूरत होती है। मानव आबादी बढऩे, वन क्षेत्रों के अतिक्रमण, भोजन की तलाश और हाथियों के रास्ते भटकने के कारण हाल के वर्षों में टकराव में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
—
रेड लिस्ट में एशियाई हाथी
एशियाई हाथियों को संकटग्रस्त प्रजातियों की आईयूसीएन की रेड लिस्ट में विलुप्तप्राय प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ऐसा भारत को छोड़कर अधिकांश हाथी वाले देशों के संदर्भ में किया गया है, जहां हाथियों के अनुकूल निवास स्थान की कमी और उनके अवैध शिकार के कारण उनकी संख्या में काफी कमी आई है। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार विश्व में करीब 45 हजार हाथी हैं। करीब एक दशक पहले देश में हाथियों की संख्या 10 लाख से ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन अब इनकी संख्या काफी घट गई है। देश में 2017 में आखिरी बार की गई गिनती के मुताबिक 27312 हाथी थे।
—
राष्ट्रीय धरोहर पशु के अस्तित्व पर संकट
देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों के बाद दक्षिण में कर्नाटक के कोडगू और मैसूर जिले हाथियों के पसंदीदा आवास हैं। केरल की व्यानाद सेंचुरी में भी कई हाथी हैं। 1989 में हाथी दांत के व्यापार पर पाबंदी के बावजूद हाथियों के शिकार में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। कुख्यात तस्कर वीरप्पन के मारे जाने के बाद लगा था कि हाथियों के शिकार में कमी आएगी लेकिन यह सिलसिला थमा नहीं है। हाथियों की मौत के मामले में केरल देश का सबसे बदनाम राज्य है जहां हर तीन दिन में एक हाथी को मारा जाता है। इस प्रकार राष्ट्रीय धरोहर पशु हाथियों के अस्तित्व पर गंभीर संकट पैदा हो गया है।
—
इनका कहना है
हाथियों का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पारिस्थितिकीय प्रणाली को संतुलित रखता है। मानव-हाथी टकराव को समाप्त करने के लिए सरकार एक स्थायी और ठोस समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। जंगलों में ही जानवरों को भोजन और पानी उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले पांच साल में हाथी संरक्षण के कई कार्यक्रम चलाए गए हैं। अगले साल से परिणाम दिखना शुरू हो जाएगा।
प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री