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जूट उद्योग पर मंडराते संकट के बादल

locationकोलकाताPublished: Feb 02, 2018 10:58:58 pm

Submitted by:

Prabhat Kumar Gupta

पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

kolkata west bengal

कोलकाता/नई दिल्ली.

पश्चिम बंगाल के जूट उद्योग पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। केंद्र सरकार रबी सीजन के लिए करीब 3.5 लाख बेल जूट के बोरे में कटौती करने की उधेड़बून में लगी हुई है। बोरे में कटौती (डायल्यूशन) का ठीकरा यह कह कर फोडऩे का प्रयास किया जा रहा है कि जूट उद्योग 31 मार्च 2018 तक की अवधि में 11.5 लाख बेल बोरे की सप्लाई नहीं कर सकता। ऐसे में केंद्र के पास जूट के बोरे में कटौती के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचता। इस मुद्दे पर शुक्रवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों तथा खाद्य आपूर्ति व जन वितरण मंत्रालय की हुई बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया गया। माना जा रहा है कि अगले सप्ताह तक केंद्र का निर्णय सामने आ जाएगा। इसे लेकर जूट उद्योग में अफरा-तफरी का माहौल है। जूट मिल मालिकों के संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इज्मा) ने बोरे में कटौती से संबंधित केंद्र के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए व मंत्रालय में सचिव (टेक्सटाइल) को पत्र भी लिखा है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय कमेटी (सीसीईए) ने जूट पैकेजिंग मैटेरियल एक्ट-1987 के मद्देनजर खाद्यान्नों में सौ फीसदी जूट के बोरे का इस्तेमाल होने की बात कही है। खाद्यान्नों में 90 फीसदी तथा चीनी में 20 फीसदी जूट के बोरे लेने की सिफारिश की गई है।
मंत्रालय का कड़ा तेवर
जूट आयुक्त कार्यालय ने गत 27 दिसम्बर को राज्य के सभी मिल मालिकों के संदर्भ में एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया कि विभिन्न राज्य सरकार की एजेंसियों के अनुमान के अनुसार रबी सीजन (2018-19) के लिए करीब 15 लाख बेल जूट के बोरे की खपत होने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके मद्देनजर जूट आयुक्त कार्यालय ने नवम्बर और दिसम्बर 2017 के लिए 4.70 लाख बेल बोरे का ऑर्डर भी जारी किया था। जूट उप आयुक्त के अनुसार जूट मिलें 25 दिसम्बर 2017 तक की अवधि में शेष बचे 2.15 लाख बेल बोरे की सप्लाई नहीं कर पाई थी।
केंद्र का दावा गलत
29 जनवरी 2018 को मंत्रालय के सचिव(टेक्सटाइल) को लिखे पत्र में इज्मा ने कहा है कि 30 अक्टूबर 2017 को रबी सीजन (2018-19) के लिए निर्धारित अग्रिम योजना के तहत राज्यों को नवम्बर 2017 में 2.71 लाख बेल, दिसम्बर 2017 में 3.38 लाख बेल और जनवरी 2018 में 3.08 लाख बेल बोरे की खपत होने का अनुमान लगाया गया था। तीन महीने में 9.17 लाख बेल बोरे की जरूरत का लक्ष्य रखा गया था। जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त तीन महीनों में क्रमश: 1.90, 2.76 और 3.01 लाख बेल का ही ऑर्डर आया। ऐसे में जूट उद्योग पर बोरे की सप्लाई निर्धारित समय में नहीं होने जैसे आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं।
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