मंत्रालय का कड़ा तेवर
जूट आयुक्त कार्यालय ने गत 27 दिसम्बर को राज्य के सभी मिल मालिकों के संदर्भ में एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया कि विभिन्न राज्य सरकार की एजेंसियों के अनुमान के अनुसार रबी सीजन (2018-19) के लिए करीब 15 लाख बेल जूट के बोरे की खपत होने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके मद्देनजर जूट आयुक्त कार्यालय ने नवम्बर और दिसम्बर 2017 के लिए 4.70 लाख बेल बोरे का ऑर्डर भी जारी किया था। जूट उप आयुक्त के अनुसार जूट मिलें 25 दिसम्बर 2017 तक की अवधि में शेष बचे 2.15 लाख बेल बोरे की सप्लाई नहीं कर पाई थी।
जूट आयुक्त कार्यालय ने गत 27 दिसम्बर को राज्य के सभी मिल मालिकों के संदर्भ में एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया कि विभिन्न राज्य सरकार की एजेंसियों के अनुमान के अनुसार रबी सीजन (2018-19) के लिए करीब 15 लाख बेल जूट के बोरे की खपत होने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके मद्देनजर जूट आयुक्त कार्यालय ने नवम्बर और दिसम्बर 2017 के लिए 4.70 लाख बेल बोरे का ऑर्डर भी जारी किया था। जूट उप आयुक्त के अनुसार जूट मिलें 25 दिसम्बर 2017 तक की अवधि में शेष बचे 2.15 लाख बेल बोरे की सप्लाई नहीं कर पाई थी।
केंद्र का दावा गलत
29 जनवरी 2018 को मंत्रालय के सचिव(टेक्सटाइल) को लिखे पत्र में इज्मा ने कहा है कि 30 अक्टूबर 2017 को रबी सीजन (2018-19) के लिए निर्धारित अग्रिम योजना के तहत राज्यों को नवम्बर 2017 में 2.71 लाख बेल, दिसम्बर 2017 में 3.38 लाख बेल और जनवरी 2018 में 3.08 लाख बेल बोरे की खपत होने का अनुमान लगाया गया था। तीन महीने में 9.17 लाख बेल बोरे की जरूरत का लक्ष्य रखा गया था। जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त तीन महीनों में क्रमश: 1.90, 2.76 और 3.01 लाख बेल का ही ऑर्डर आया। ऐसे में जूट उद्योग पर बोरे की सप्लाई निर्धारित समय में नहीं होने जैसे आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं।
29 जनवरी 2018 को मंत्रालय के सचिव(टेक्सटाइल) को लिखे पत्र में इज्मा ने कहा है कि 30 अक्टूबर 2017 को रबी सीजन (2018-19) के लिए निर्धारित अग्रिम योजना के तहत राज्यों को नवम्बर 2017 में 2.71 लाख बेल, दिसम्बर 2017 में 3.38 लाख बेल और जनवरी 2018 में 3.08 लाख बेल बोरे की खपत होने का अनुमान लगाया गया था। तीन महीने में 9.17 लाख बेल बोरे की जरूरत का लक्ष्य रखा गया था। जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त तीन महीनों में क्रमश: 1.90, 2.76 और 3.01 लाख बेल का ही ऑर्डर आया। ऐसे में जूट उद्योग पर बोरे की सप्लाई निर्धारित समय में नहीं होने जैसे आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं।